रायपुर। पूनम ऋतु सेन। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक महीने में एक पूर्णिमा तिथि होती है और साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं। प्रत्येक पूर्णिमा तिथि अपने आप में अलग महत्व रखती है और हर पूर्णिमा तिथि में अलग ढंग से पूजन करने का विधान है।
शरद पूर्णिमा का महत्व
इसी प्रकार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है। इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा तिथि का महत्त्व इसलिए और ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और चन्द्रमा की रोशनी सभी दिशाओं में फैली हुई होती है।
इस दिवस की मान्यताएँ
ऐसी मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा से निकलने वाली किरणों से अमृत की वर्षा होती है, इसलिए इस दिन चन्द्रमा को भोग में खीर अर्पित की जाती है और इसे खुले आकाश के नीचे रखा जाता है जिससे खीर में भी चन्द्रमा की रोशनी पड़े और इसमें भी अमृत का प्रभाव हो सके। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के पूजन और खीर के रूप में चन्द्रमा के अमृत का पान करने से शरीर निरोगी होता है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी पूरे मनोयोग से की जाती है जिससे उनकी कृपा दृष्टि बनी रहे।
खीर का भोग
हिंदी पंचांग के अनुसार इस साल यानी कि साल 2021 में अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर, मंगलवार के दिन पड़ेगी। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 19 अक्टूबर को शाम 07 बजे से शुरू हो कर 20 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 20 मिनट तक होगा। पूर्ण चंद्र दर्शन 19 अक्टूबर की रात्रि को होगा और इस दिन चन्द्रमा पूर्ण कलाओं से युक्त होगा। इसलिए इस दिन चन्द्रमा को खीर का भोग लगाएं।
व्रत एवं पूजन विधि
• जो लोग पूर्णिमा का व्रत करते हैं वो शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें।
• इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें।
• यदि नदी में स्नान संभव न हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
• स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद घर के मंदिर की सफाई और ईश्वर की आराधना करें।
• पूजा के दौरान भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
• रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को इस खीर का भोग लगाएं।
• रात्रि के समय जब चन्द्रमा अपनी सम्पूर्ण कलाओं से युक्त हो उस समय खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे दूसरे दिन भोग के रूप में ग्रहण करें।
• ऐसा माना जाता है कि यह खीर अमृत से युक्त होती है। इसलिए इसे घर के सभी लोगों को खाना चाहिए और प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करना चाहिए।
कथा
इसके अलावा शरद पूर्णिमा का महत्त्व और ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी रात्रि भर भ्रमण करती हैं और इनके पूजन से घर में धन-संपदा का आगमन होता है। समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन मां लक्ष्मी का आविर्भाव समुद्र से हुआ था। इसलिए इस दिन को माता लक्ष्मी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया होता है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।