भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने साफ किया है कि अगर नकदी की कमी की वजह से ग्राहक को एटीएम से खाली हाथ लौटना पड़ा तो संबंधित बैंक पर इस वर्ष पहली अक्टूबर से जुर्माना लगाया जाएगा। यानी अब एटीएम में पर्याप्त नकदी नहीं रखना बैंकों को भारी पड़ेगा।
रिजर्व बैंक के नियमावली में कहा गया है कि किसी भी बैंक के एटीएम में एक महीने में ज्यादा से ज्यादा 10 घंटे तक नकदी की कमी स्वीकार्य है। उससे ज्यादा देर तक किसी एटीएम में नकदी की कमी पाई गई तो बैंक को प्रति एटीएम 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। इसका मकसद एटीएम में नकदी की कमी से होने वाली दिक्कत से ग्राहकों को निजात दिलाना है।
रिजर्व बैंक पर नोट जारी करने की जिम्मेदारी है। वहीं, बैंकों पर देशभर में अपने एटीएम के नेटवर्क के माध्यम से नोट ग्राहकों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी है। इसलिए बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम (वैसी कंपनियां जिन्हें आरबीआइ ने सिर्फ एटीएम परिचालन का लाइसेंस दिया है। आपरेटर्स को अपना तंत्र मजबूत रखना होगा। उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि उनके तहत आने वाले किसी भी एटीएम में नकदी की कभी भी कमी नहीं हो।
रिजर्व बैंक ने कहा कि एटीएम में नकदी की कमी को बेहद गंभीरता से लिया जाएगा और बैंकों पर मौद्रिक जुर्माना लगेगा। अगर किसी व्हाइट लेबल एटीएम में नकदी की कमी मिलती है तो जुर्माना उस बैंक पर लगाया जाएगा, जिससे उस एटीएम में रकम डालने का करार है।









