बिहार के रक्सौल स्थित भारत-नेपाल सीमा पर मुद्रा विनिमय की वैध व्यवस्था नहीं होने से सरेआम अवैध धंधा चल रहा है। सीमा पर प्रतिदिन नोटों की मंडी लगती है और भारतीय और नेपाली नोटों के बदलने का खुलेआम अवैध धंधा होता है। यहां देशी-विदेशी पर्यटक समेत आसपास के लोग भी नोट बदलवाने पहुंचते हैं। खास बात यह है कि कोरोना के दौर में नेपाल की ओर से सीमा सील होने के बावजूद धंधे पर कोई असर नहीं है। इस अवैध धंधे में दोनों देशों के लोग शामिल हैं।
रक्सौल सीमा पर लगभग 0 अवैध मुद्रा विनिमय केंद्र हैं, जबकि 100 से अधिक लोग चलता-फिरता धंधा करते हैं। यहांां प्रतिदिन 20 लाख का लेनदेन होता है। इससे धंधेबाजों को डेढ़ लाख रुपये तक की कमाई होती है। धंधेबाज एक लाख नेपाली रुपये के बदले भारतीय करेंसी लेने पर पांच से सात हजार लेते हैं। इसके लिए किसी तरह के कागज की जरूरत नहीं, जबकि नेपाल में वैध रूप से अधिकतम 10 हजार रुपये बदलने की ही सुविधा है। कागजात भी देने पड़ते हैं। इस पर डेढ़ फीसद शुल्क लिया जाता है। वहीं, अवैध रूप से भारतीय नोट बदलने पर धंधेबाज पांच फीसद लेते हैं।
दिल्ली-काठमांडू को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर सुबह चार बजे से ही नोटों की मंडी सज जाती है, जो रात के नौ बजे तक चलती है। धंधेबाज छोटी-छोटी गुमटियों और पान, चाय व किराना दुकान की आड़ में नोट बदलने का काम करते हैं। बड़े अधिकारियों के रक्सौल पहुंचने की सूचना धंधेबाजों तक पहले पहुंच जाती है। जाहिर है यह अवैध धंधा एक बड़े सिंडिकेट के माध्यम से धंधा चलता है। सफेदपोश लोगों के संरक्षण का भी इन्हेंं लाभ मिलता है।
यहां के धंधेबाज अवैध मुद्रा विनिमय केंद्र के अलावा हवाला कारोबार से भी जुड़े हैं। पिछले सात महीने में सात करोड़ से अधिक कैश की बरामदगी हो चुकी है। एक दर्जन से अधिक भारतीय तस्कर गिरफ्तार भी हो चुके हैं।