2022 के चार महीनों में श्रीलंका को कुल 96.8 करोड़ अमेरिकी डालर ऋण मिला है। इस दौरान भारत चीन को पछाड़कर श्रीलंका का सबसे बड़ा ऋणदाता बनकर उभरा है। 2017 से 2021 यानी पिछले पांच वर्षों में चीन श्रीलंका का सबसे बड़ा द्विपक्षीय ऋणदाता रहा है। चीन ने श्रीलंका को इस दौरान कुल 94.7 करोड़ अमेरिकी डालर का ऋण दिया।
डेली फाइनेंशियल टाइम्स (एफटी) की रिपोर्ट के अनुसार इसमें से 80.9 करोड़ अमेरिकी डालर का ऋण चीन विकास बैंक की ओर से प्राप्त हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) पिछले पांच वर्षों में सबसे बड़ा बहुपक्षीय ऋणदाता रहा है। उसने 2021 में 61 करोड़ अमेरिकी डालर लोन के रूप में वितरित किए। फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार भारत ने 37.7 करोड़ अमेरिकी डालर का ऋण 2022 के पहले चार महीनों में श्रीलंका को दिया है। इसके बाद एडीबी ने 36 करोड़ अमेरिकी डालर का ऋण श्रीलंका को उपलब्ध कराया है। 2022 के पहले चार महीनों में यह राशि कुल ऋण का 76 प्रतिशत है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज ने कहा कि भारत संकटग्रस्त श्रीलंका को करीब चार अरब डालर की खाद्य और वित्तीय सहायता प्रदान कर चुका है। भारत प्रमुखता से अपना पड़ोसी धर्म निभा रहा है।
प्रेट्र के अनुसार श्रीलंकाई सरकार 23 सितंबर को अपने विदेशी कर्जदाताओं को आर्थिक संकट से उबरने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के साथ हुए समझौते के बारे में वर्चुअली जानकारी देगी। साथ ही सरकार ऋण पुनर्गठन के अगले कदम के बारे में भी बताएगी। एक सितंबर को आइएमएफ ने श्रीलंका के साथ कर्मचारी स्तर का समझौता किया। करीब 2.9 अरब डालर की विस्तारित कोष सुविधा के तहत 48 महीने की व्यवस्था की गई है। 1948 में स्वतंत्र हुआ श्रीलंका अभी सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है।
ऋण पुनर्गठन सलाहकार क्लफोर्ड चांस ने कहा, “श्रीलंका 23 सितंबर को विदेशी कर्जदाताओं को आनलाइन प्रस्तुति देगा। आइएमएफ के साथ बनी सहमति और हाल के आर्थिक घटनाक्रम के बारे में उन्हें बताएगा।”