इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल को लगने जा रहा है। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। रात के समय लगने के कारण यह ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। अमेरिका के कुछ हिस्सों समेत अंटार्कटिका में यह नजर आएगा। इस वर्ष सिर्फ दो सूर्य ग्रहण लगने जा रहे हैं। 30 अप्रैल को पहला सूर्य ग्रहण् लगने जा रहा है। यह ग्रहण तब शुरू होगा, जब भारत में आधी रात हो चुकी होगी और सुबह होने से पहले ग्रहण समाप्त हो जाएगा।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के पूर्व निदेशक व वरिष्ठ सौर विज्ञानी डा. वहाबउद्दीन ने बताया कि भारतीय समयानुसार रात में चंद्रमा की पहली छाया 12 बजकर 15 मिनट व 19 सेकेंड पर सूर्य में नजर आने लगेगी। वहीं, दो बजकर 11 मिनट व 37 सेकेंड पर सूर्य का अधिकतम हिस्सा ग्रहण की चपेट में होगा। इसके बाद ग्रहण छंटना शुरू हो जाएगा और चार बजकर सात मिनट व 56 सेकेंड पर सूर्य ग्रहण छाया से मुक्त हो जाएगा। ग्रहण की कुल अवधि लगभग 3.52 घंटे रहेगी। इस बीच सूर्य ग्रहण दक्षिणी अमेरिका के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में सर्वाधिक नजर आएगा। इसके अलावा अंटार्कटिका में भी देखा जा सकेगा। समुद्री हिस्से में प्रशांत व अटलांटिक महासागर में यह ग्रहण नजर आएगा। इसके ठीक 15 दिन बाद चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण भी भारत से नहीं देखा जा सकेगा।
विज्ञानी दृष्टि से पूर्ण सूर्य ग्रहण बेहद महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जो सूर्य के बाहरी आवरण यानी कोरोना के अध्ययन के लिए अहम मानी जाती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ही सूर्य के कोरोना को देखा जा सकता है। सूर्य के कोरोना का तापमान सूर्य की सतह से कई गुना अधिक होता है। धरती से कोरोना का अध्ययन सूर्य ग्रहण के दौरान ही संभव है।