इस्लामी आतंकवाद का सामना कर रहे इजराइल ने अब ड्रोन सेना तैयार किया है। यह ड्रोन सेना हमास सदस्यों को चुन-चुनकर मारेगी। दुनिया में पहली बार किसी सैन्य कार्रवाई में इजरायल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल किया है। इजरायल का यह कदम भविष्य में होने वाले युद्धों का नक्शा बदल सकता है। गाजा पट्टी में इजरायल ने हमास चरमपंथियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त ड्रोन स्वार्म का प्रयोग किया है।
इस ऑपरेशन के दौरान इजरायली सेना ने गाजा पट्टी में बिना घुसे अपने लक्ष्यों को खोजकर उन्हें सफलतापूर्वक खत्म कर दिया। इस हाइब्रिड वॉर में शामिल इजरायली सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पहली बार है जब एआई तकनीकी का व्यापक रूप से एक ऑपरेशन में इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले एआई तकनीक का इस्तेमाल हमास के मिसाइल हमलों से बचाव और लक्ष्यों की पहचान करने के लिए किया गया था। इस ऑपरेशन से हमे जो अनुभव सीखने को मिले हैं, उनका उपयोग हमले की सटीकता को और सुधारने के लिए किया जाएगा।
इजरायल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग रडार की सूचना के आधार पर रॉकेट का पथ निर्धारित करने के लिए किया गया। ये इजरायली रॉकेट को गाजा पट्टी के घनी आबादी वाले इलाकों में जाने से रोकते हैं। इस प्रणाली को जरूरत के हिसाब से खुद ही रॉकेट लॉन्च करने के लिए भी डिजाइन किया गया है। अगर गाजा पट्टी में उड़ रहे इजरायली एआई ड्रोन को हमले की जरूरत होगी तो उसके कमांड पर मिसाइल खुद ब खुद टॉरगेट को लॉक कर लॉन्च हो जाएगी। ऐसे में ये ड्रोन गाजा पट्टी में हमास के लिए काल बन सकते हैं। इनकी मदद से इजरायल हमास के रॉकेट हमले के पहले ही जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
इजरायली सेना के ऐसे हमलों से हमास के मिसाइल लॉन्चिंग साइट पहले ही तबाह हो जाएंगे। इससे इजरायल को अपने एयर डिफेंस पर बहुत अधिक खर्च नहीं करना होगा। क्योंकि, हमास के रॉकेट को रोकने के लिए इजरायल को करोड़ों रुपये की मिसाइलों को फायर करना पड़ता है।
इस साल मई में हमास ने इजरायल पर कम से कम 4000 रॉकेट दागे थे। जवाबी कार्रवाई में इजरायल की आयरन डोम मिसाइल सिस्टम ने 90 फीसदी हमास के रॉकेट को मार गिराया था। हालांकि, फिर भी 10 फीसदी रॉकेट ने इजरायली जमीन पर बड़ी तबाही मचाई थी। इजरायल के पास आयरन डोम सहित कई एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम हैं। जिनमें इस्तेमाल होने वाले मिसाइलों की कीमत काफी ज्यादा होती है। प्रत्येक इंटरसेप्टर मिसाइल की कीमत 50000 अमेरिकी डॉलर के आसपास होती है। ऐसे में दुश्मन के एक रॉकेट को रोकने के लिए कई बार दो या इससे भी ज्यादा मिसाइलों को फायर करना पड़ता है। आर्थिक रूप से यह लड़ाई काफी भारी पड़ती है। इसलिए, इजरायल ने लॉन्च से पहले ही मिसाइल हमला कर हमास के ठिकानों को बर्बाद करने का फैसला किया है।
गाजा की घनी आबादी इजरायल के सैन्य अभियान में हमेशा से रोड़ा बनती रही है। इसलिए, उन्हें बचाने के लिए इजरायल ने एआई तकनीक से लैस ड्रोन का इस्तेमाल किया है। इजरायल ने गाजा पट्टी पर सटीक हमले के लिए ह्यूमन इंटेलिजेंस और भौगौलिक जानकारी से मिले डेटा की विशाल मात्रा का अध्ययन किया। इसके बाद सैटेलाइट इमेजरी, सेंसर और कई अन्य सोर्स के आधार पर गाजा के बारे में 3D नक्शा तैयार किया गया। ये नक्शा हमास के रॉकेट लॉन्चिंग साइट को पहचानने में सक्षम है। जिसके बाद एआई तकनीकी से इन ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।