पेंड्रा में एक प्रजाति के पेड़ का फल कई पीढियों से गुलाब जामुन का आनंद दे रहा है। इस फल का इंतजार लोगों को बेसब्री से रहता है। पेड़ पर फरवरी में फल लगना शुरू होता है और अप्रैल-मई तक यह खाने के लिए तैयार हो जाता है। गुलाब जामुन का फल पके हुए अमरूद की तरह हल्का पीलापन लिए हरे रंग का होता है। इसकी उपरी परत को ही खाया जाता है। इसके अंदर गोल बीज रहता है। गंध और स्वाद में यह बिल्कुल गुलाब जामुन की तरह होता है।
पेड़ पर फलने वाला गुलाब जामुन एक पतली परत लिए रहता है। इस परत को ही खाया जाता है। अंगूठे से दबाकर परतों को खाया जा सकता है। आमतौर पर बीज को फेंक दिया जाता है, पर बीज के भीतर भी गुठलियों में काफी औषधीय गुण होते हैं।
औषधीय पौधों के जानकार और पर्यावरणविद पूरन छाबरिया बतलाते हैं कि इसकि गुठली के सेवन से नयी कोशिकांए बनती है तो वहीं शुगर बीमारी में भी इसका उपचार के लिये उपयोग किया जाता है। गंध और स्वाद में यह गुलाब जामुन हलवाई की दुकान में मिलने वाले गुलाब जामुन की तरह होता है। हलवाई के गुलाब जामुन को ले जाने के लिए विशेष पैकिंग करानी पड़ती है, पर पेड़ पर फलने वाले गुलाब जामुन को जेब में डालकर भी ले जाया जा सकता है। बाजार में यह 100 से 150 रुपए प्रतिकिलो तक बिकता है।