रायपुर- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर को मलेरिया से मुक्त करना आसान नहीं है। अबूझमाड़ में स्थित गांवों तक दुर्गम रास्तों को पार कर स्वास्थ्य कर्मी पहुंच रहे हैं। नारायणपुर के कोहकामेटा में पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ग्रामीणों की मलेरिया की जांच करने के लिए ढोल बजा कर ग्रामीणों को इकट्ठा किया है। जिसके बाद दर्जनों ग्रामीणों की मलेरिया की जांच की गई। वहीं गांव के ज्यादा बीमार मरीजों को खाट के माध्यम से अस्पताल तक पहुंचाया। नारायणपुर में मलेरिया मुक्त अभियान का तीसरा चरण 22 नंवबर से शुरू हो गया है, जो 21 दिसंबर तक चलेगा। इस अभियान के तहत जिला मुख्यालय से महज 60 से 65 किमी की दूरी पर ओरछा ब्लॉक के धुर नक्सल प्रभावित इलाके कोहकामेटा में कई नदी नाले पार कर स्वास्थ्य कर्मी पहुंचे। टीम ने यहां सबसे पहले ढोल बजाया। ढोल की आवाज सुनकर इलाके के दर्जनों ग्रामीण इकठ्ठा हो गए। जिसके बाद सभी की जांच की गई। जिनमें लगभग 5 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। आरएचओ प्रदीप कुमार सिन्हा ने बताया कि, गांव में ही एक व्यक्ति 8 दिन पहले पेड़ से गिर गया था। जिसके कारण उसकी हालत खराब थी और वह अपना इलाज गांव के ही बैगा से करवा रहा था। स्वास्थ्य अमले द्वारा समझाने पर वह अस्पताल आने को तैयार हो गया। लेकिन उन्हें जिला अस्पताल तक लाने भी बड़ी चुनौती थी। ऐसे में खाट के सहारे सोनपुर तक लाया गया। उसके बाद उसे निजी वाहन से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इतना है लक्ष्य
नारायणपुर की कुल 1 लाख 28 हजार 24 जनसंख्या की मलेरिया की जांच की जानी है। जिसमें नारायणपुर ब्लॉक में 217 गांव एवं ओरछा ब्लॉक में 150 गांवों का लक्ष्य रखा गया है। नारायणपुर में मलेरिया जांच के लिए कुल 80 टीम एवं ओरछा में 72 टीमों का गठन किया गया है। जिला नारायणपुर के अंतर्गत पुलिस कैंपों में भी मलेरिया जांच किया जाएगा।