आबकारी नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राउज एवेन्यू की विशेष सीबीआई अदालत ने चार मार्च तक के लिए हिरासत में भेज दिया। आम आदमी पार्टी ने सिसोदिया को राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार किए जाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को देशभर में प्रदर्शन किया।
रविवार को आठ घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किए गए सिसोदिया को सीबीआई ने भारी सुरक्षा इंतजाम के बीच विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) एमके नागपाल के समक्ष पेश किया। खचाखच भरे कोर्ट रूम में करीब एक घंटे तक जिरह हुई। जांच एजेंसी की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) पंकज गुप्ता ने पांच दिन की हिरासत की मांग करते हुए तर्क दिया कि जांच से पता चला है कि सिसोदिया ने नीति में बदलाव के लिए मौखिक रूप से सचिव को एक नया कैबिनेट नोट बनाने का निर्देश दिया था।
सिसोदिया आबकारी नीति के लिए कैबिनेट द्वारा गठित मंत्रियों के समूह का नेतृत्व कर रहे थे और लाभ मार्जिन पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था। पूछताछ में सिसोदिया यह नहीं बता सके कि परिवर्तन क्यों किए गए थे। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी उनका फोन मांग रही थी, जिसे वह जनवरी 2020 से इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं, सिसोदिया ने इस्तेमाल किए गए फोन भी नष्ट किए। साजिश बेहद गोपनीय तरीके से रची गई थी। इस पर अदालत ने पूछा कि आखिर सीबीआई हिरासत क्यों चाहिए? जवाब में एसपीपी ने कहा कि मामले में प्रभावी जांच के लिए पूछताछ जरूरी है। गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपितों के साथ उनका सामना कराना है। एसपीपी ने कहा कि सिसोदिया पूछताछ में जवाब नहीं दे रहे हैं और तथ्यों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।
सीबीआई के तर्क को सिसोदिया ने नकारा
सिसोदिया की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने तर्क दिया कि रिमांड के लिए सीबीआई के आधार कानून में मान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस लाभ मार्जिन की बात जांच एजेंसी कर रही है, उसे उपराज्यपाल द्वारा मंजूरी दी गई थी। सिसोदिया द्वारा फोन नष्ट और बदलने के एजेंसी के आरोप पर उन्होंने कहा कि यह कोई अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि नीति को एलजी से भी सुझाव लेने के बाद लागू किया गया था, ऐसे में साजिश की कोई संभावना नहीं थी। सिसोदिया द्वारा सही तरीके से जवाब नहीं देने के एजेंसी के तर्क पर कृष्णन ने कहा कि यह तर्क हिरासत में देने का आधार नहीं हो सकता है।
सिसोदिया की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा कि आबकारी नीति में बदलाव को उपराज्यपाल ने मंजूरी दी थी, लेकिन सीबीआई निर्वाचित सरकार के पीछे जा रही थी। सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के सदस्य के रूप में कार्य किया और इसलिए निर्णय के लिए न तो जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और न ही उन पर सवाल उठाया जा सकता है। तर्क दिया कि एलजी को भेजे गए नोट में पांच प्रतिशत से 12 प्रतिशत तक लाभ मार्जिन की वृद्धि पहले से ही शामिल थी और उनके द्वारा कोई बदलाव नहीं सुझाया गया था।
सिसोदिया की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि सिसोदिया दिल्ली के वित्त मंत्री हैं और उन्हें बजट पेश करना है। आखिर, कल क्या बदल गया कि वित्त मंत्री को हिरासत में रखा जाना था? क्या यह गिरफ्तारी किसी छिपे मकसद से की गई है? यह मामला एक व्यक्ति के साथ-साथ संस्था पर भी हमला है। हिरासत की मांग को अस्वीकार करने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है। इस मामले में रिमांड देने से गलत संदेश जाएगा।