सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को सरल करने की जरूरत है क्योंकि सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (कारा) के तहत एक बच्चे को गोद लेने की प्रतीक्षा अवधि तीन-चार साल है, जबकि लाखों अनाथ बच्चे गोद लिए जाने का इंतजार कर रहे हैैं। इससे पहले भी शीर्ष अदालत ने इस प्रक्रिया को बेहद थकाऊ करार दिया था।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘द टेंपल आफ हीलिंग” की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से यह बात कही। इस पर नटराज ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है, जवाब दाखिल करने के उन्हें छह हफ्ते का समय दिया जाए।
पीठ ने नटराज से कहा कि वह बाल विकास मंत्रालय में किसी जिम्मेदार व्यक्ति से एनजीओ के साथ बैठक करने और उसके सुझावों पर गौर करने को कहें। साथ ही एक रिपोर्ट तैयार कर शीर्ष अदालत में दाखिल करें। व्यक्तिगत तौर पर मौजूद एनजीओ के सचिव पीयूष सक्सेना से पीठ ने अपनी याचिका एएसजी के साथ साझा करने और गोद लेने की प्रक्रिया सरल बनाने के अपने सुझाव मंत्रालय के अधिकारियों को देने के लिए भी कहा। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।