हिजाब मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार से इस पूरे विवाद में कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) की भूमिका पर जानकारी मांगी। मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जस्टिस जेएम खाजी और जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित की पीठ को वरिष्ठ वकील एसएस नागनंद ने बताया कि सीएफआइ से जुड़ी कुछ छात्राओं द्वारा हिजाब विवाद शुरू किया गया था। वह उडुपी के सरकारी बालिका पीयू कालेज (इंटर कालेज), उसके प्रिंसिपल और एक शिका की तरफ से पेश हुए थे।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जानना चाहा कि सीएफआइ क्या है और इसकी भूमिका क्या थी। नागनंद ने बताया कि सीएफआइ एक स्वैच्छिक संगठन है जो कक्षा मेें हिजाब पहनने की मांग करने वाली छात्राओं के समर्थन में राज्य में विरोध प्रदर्शनों का आयोजन कर रहा है। एक अन्य वकील ने कहा कि सीएफआइ एक कट्टरपंथी संगठन है, जिसे कालेजों द्वारा मान्यता नहीं दी गई है। इस पर मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने पूछा कि क्या राज्य सरकार को इसके बारे में जानकारी है। इस पर नागनंद ने कहा कि खुफिया ब्यूरो को यह पता है।
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता प्रभुलिंग के. नागावदी के जरिये राज्य सरकार को इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा। नागावदी ने कहा कि इस संगठन के बारे में कुछ जानकारी है, तब मुख्य न्यायाधीश ने हैरानी जताते हुए कहा कि अचानक इस संगठन का इस मामले में नाम कैसे आ गया। नागनंद ने कहा कि सीएफआइ ने कुछ शिक्षिकाओं को धमकाया था, जिससे वे शिकायत करने से डर गई थीं, लेकिन अब उन्होंने पुलिस में शियत दर्ज कराई है। मुख्य न्यायाधीश के पूछने पर वकील ने बताया कि कुछ दिन पहले शिक्षिकाओं को धमकाया गया था। जस्टिस दीक्षित ने इस पर नाराजगी जताते हुए महाधिवक्ता नागावदी से कहा कि उन्हें इसके बारे में कोर्ट को जानकारी देनी चाहिए थी। महाधिवक्ता ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि गर्ल्स कालेज में ड्रेस कोड 2004 से ही लागू है।
बता दें कि उडुपी में एक जनवरी को सीएफआइ द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में छह छात्राएं शामिल हुई थीं। ये वही छात्राएं थी जिन्होंने इसके चार दिन पहले उडुपी के सरकारी पीयू कालेज में कक्षा मेें पहनने की अनुमति मांगी थी, जिसे कालेज प्रशासन ने ठुकरा दिया था। प्रेस कांफ्रंेस के बाद कालेज के प्रिंसिपल रुद्र गौडा ने कहा था कि छात्राएं कालेज परिसर में हिजाब पहनकर आती थीं, लेकिन कक्षा में उसे उतार देती थीं। 35 वर्षों से ऐसा ही चला रहा था। अचानक बाहरी ताकतों के भड़काने पर वो कक्षा में हिजाब पहनने की मांग करने लगीं।
कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली एक याचिकाकर्ता के वकील मोहम्मद ताहिर से मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने कहा, ‘हम यह बिल्कुल स्पष्ट कर रहे हैैं कि चाहें वह डिग्री कालेज हो या पीयू कालेज, अगर वहां कोई यूनिफार्म निर्धारित है तो इस मामले के लंबित रहने तक उसका पालन किया जाना चाहिए।” श्ािक्षिकाओं के हिजाब पहनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोर्ट का अंतरिम आदेश सिर्फ विद्यार्थियों के लिए है।