सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक महिला ने बलात्कार के आरोपी की जमानत रद्द करने का अनुरोध किया था। न्यायालय ने कहा कि यह “सहमति से बने संबंध” का मामला लगता है। इसमें महिला उस व्यक्ति के साथ होटलों में गई और केंद्रीय सुरक्षा बल में कार्यरत सीमा पर तैनात ने पति की तरफ से भेजा गया वेतन खर्च किया। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने आरोपी को जमानत देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश में कोई दखल नहीं दिया।
पीठ ने कहा, आप अपने बच्चों को घर पर छोड़ कर उसके साथ होटलों में गयीं। आरोपी के साथ रहने के लिए पास के एक शहर में किराए पर अलग कमरा लिया। इस तरह आप अपने पति का पैसा खर्च कर रही थीं, जो आईटीबीपी कर्मी हैं। सीमा पर तैनात उस बेचारे व्यक्ति को यह भी नहीं पता था कि उनकी पत्नी घर पर क्या कर रही है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि आरोप पत्र से प्रतीत होता है कि यह सहमति से बने संबंध का मामला था और इसलिए पीठ दो दिसंबर, 2021 के उच्च न्यायालय के आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। महिला की ओर से पेश वकील ने कहा कि आरोपी ने पीड़िता को परेशान किया और उसके साथ कई बार बलात्कार किया। पैसे के लिए ब्लैकमेल भी किया। इसे साबित करने के लिए बैंक के कुछ लेनदेन का भी जिक्र किया और कहा कि उच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ता की दलीलों पर गौर नहीं किया तथा आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी कि मामले में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है।