अयोध्या का इतिहास सदियों पुराना है। अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण करने के लिए संघर्ष् बहुत हुए। राजनीति भी हुई और मंदिर निर्माण और मंदिर के विरोध के नाम पर वोट भी मांगे गए, मगर आजाद भारत में आज तक कोई प्रधानमंत्री न तो हनुमानगढ़ी के दर्शन करने गया और न ही रामलला के दर्शन किए। यह पहला मौका होगा जब अयोध्या के राजा कहे जाने वाले हनुमानजी के दर्शन के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पहुंचे। देश की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के प्रतीक किसी मंदिर के शुभारंभ में शामिल होने वाले भी वह पहले प्रधानमंत्री होंगे।
नरेंद्र मोदी से पहले इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए अयोध्या का दौरा किया था, लेकिन उन्होंने रामजन्मभूमि से दूरी बनाए रखी थी। भगवान रामलला का दर्शन करने से महज इसीलिए महरूम रह गए थे, क्योंकि उस समय मामला अदालत में चल रहा था।
आज राम मंदिर प्रांगण में पौधरोपण करने के बाद शुभ मुहूर्त में प्रधानमंत्री मोदी ने राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। मोदी इससे पहले दो बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। पहली बार नरेंद्र मोदी 1992 में अयोध्या आए थे। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री रहते हुए अयोध्या जिले में चुनावी जनसभा को संबोधित करने आए थे, लेकिन रामलला का दर्शन नहीं किया था।
देश की आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री बनने के पर इंदिरा गांधी ने 1966 में अयोध्या का दौरा किया था। अयोध्या में नया घाट पर बने सरयू पुल का लोकार्पण करने इंदिरा गांधी अयोध्या पहुंची थीं। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद लौट गई थीं। दूसरी बार 1979 में इंदिरा गांधी का अयोध्या दौरा हुआ था, तब उन्होंने हनुमानगढ़ी जाकर बजरंगबली का दर्शन- पूजा अर्चना की थी। इसके बाद तीसरी बार इंदिरा गांधी 1975 में अयोध्या में आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने गईं थीं। उन्होंने विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में हिस्सा लिया और दिल्ली लौट आई थी। इन तीनों दौरे में इंदिरा गांधी ने रामलला के जन्मभूमि से दूरी बनाए रखा था।
वहीं, राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहते दो बार और पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में एक बार अयोध्या का दौरा किया। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते 1986 में बाबरी मस्जिद का ताला खुला और 1989 में राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 1984 में राजीव गांधी ने अयोध्या में चुनावी जनसभा को संबोधित किया था। इसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी ने अयोध्या से अपने चुनावी अभियान का आगाज किया था। अयोध्या से चुनाव प्रचार शुरू करने और रामराज्य की घोषणा के पीछे राजीव गांधी की मंशा परोक्ष्य रूप से राजनीतिक लाभ लेने की थी। इसके बाद विपक्ष में रहते हुए राजीव गांधी 1990 में सद्भावना यात्रा के दौरान अयोध्या आए, लेकिन रामलला का दर्शन-पूजन नहीं किया था। हालांकि साल 2016 में राहुल गांधी और 2019 प्रियंका वाड्रा ने यहां आने पर हनुमानगढ़ी जाकर बजरंगबली का दर्शन पूजन किया था।
इसी राम मंदिर आंदोलन ने भाजपा को फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया है। भाजपा के पहले प्रधानमंत्री बनने वाले अटल बिहारी वाजपेयी अयोध्या तो कई बार आए, लेकिन प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भी दो बार आए। साल 2003 में मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे रामचंद्रदास परमहंस के निधन पर वह अयोध्या आए थे। सरयू के तट पर उस उन्होंने परमहंस को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि राममंदिर का सपना अवश्य पूरा होगा।
इससे पहले भी अटल 2003 में सरयू तट पर आए थे। इस दौरान अयोध्या से गोरखपुर और पूर्वांचल को जोड़ने के लिए सरयू पर बने रेलवे पुल और रेल लाइन का उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। सरयू पर दूसरे पुल और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना से अयोध्या को जोड़ने का काम भी अटल विहारी वाजपेयी ने किया। 2004 में उन्होंने फैजाबाद हवाई अड्डे पर बतौर प्रधानमंत्री एक बार चुनावी सभा को भी संबोधित किया। इन सभी दौरे के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने रामजन्मभूमि स्थल से दूर बनाए रखी थी। इस तरह से वे भी अपने जीते जी रामलला और बजरंगबली का दर्शन-पूजन अयोध्या में नहीं कर सके।