एंटीबॉडी कॉकटेल भी नहीं करेगी असर
नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर रोज कमजोर होती जा रही है। संक्रमितों की संख्या में भी भारी कमी आई है। छत्तीसगढ़ में कल आई संक्रमितों की संख्या से बड़ी राहत मिलती दिख रही है। आंकड़ा जो परसों तक 800 से ऊपर था वह कल 500 से कम हो गया है। पर इसके बाद अब तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। डॉक्टरों ने कहा है कि भारत में पहली बार खोजे गए कोविड -19 के सबसे ज्यादा खतरनाक वेरिऐंट डेल्टा का एक और नया म्यूटेंट आ सकता है। विशेषज्ञों की माने तो डेल्टा का AY.1 1 या डेल्टा + नामक ज्यादा खतरनाक वेरिएंट में परिवर्तित होने की आशंका है। यह वेरिएंट इतना खतरनाक हो सकता है कि इसपर अबतक की सबसे सफल दवा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल का भी असर नहीं होगा। बता दें कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल दो दवाओं का मिक्सचर है. इसे दो दवाओं कासिरिविमाब और इम्देवीमाब के 600-600 एमजी का डोज मिलाकर तैयार किया जाता है। कासिरिविमाब और इम्देवीमाब को स्विट्जरलैंड की फसार्मा कंपनी रोशे ने बनाया है. ये दवा शरीर में कोरोनावायरस को फैलने से रोकती है। यूके सरकार के स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग की एक कार्यकारी एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के अनुसार, वैश्विक विज्ञान पहल GISAID पर अब तक नए K417N उत्परिवर्तन के साथ डेल्टा के 63 जीनोम की पहचान की गई है. पिछले शुक्रवार तक अपडेट किए गए कोविड -19 वेरिएंट पर अपनी नए रिपोर्ट में, भारत ने 7 जून तक डेल्टा + के छह मामले दर्ज किए थे.
डेल्टा वेरिएंट हो रहा विकसित और खतरनाक
वहीं दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के डॉक्टर और कम्प्यूटेशनल जीवविज्ञानी डॉ विनोद स्कारिया ने एक ट्वीट के माध्यम से बताया कि उभरते हुए वेरिएंट्स में डेल्टा+ (बी.1.617.2.1) में K417N म्यूटेशन के अधिग्रहण की विशेषता थी जो इम्यून एस्केप से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि “K417N के लिए वैरिएंट फ्ऱीक्वेंसी भारत में बहुत ज्यादा नहीं है. लेकिन जैसे-जैसे डेल्टा विकसित हो रहा है वैसे नए और खतरनाक म्यूटेंट का खतरा भी बढ़ रहा है. हमें इस म्यूटेंट पर फिलाहल और रिसर्च की जरूरत है.