भारतीयों में मोटापे को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच नीति आयोग ज्यादा चीनी, वसा और नमक वाले खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाने और ‘फ्रंट आफ द पैक लेबलिंग” जैसे कदम उठाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। ‘फ्रंट आफ द पैक लेबलिंग” से उपभोक्ताओं को ज्यादा चीनी, नमक और वसा वाले उत्पादों को पहचानने में मदद मिलती है। नीति आयोग की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश्ा की आबादी के बीच मोटापे की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए इस तरह के कदम पर विचार चल रहा है।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में बच्चों, किशोरों और महिलाओं में ज्यादा वजन और मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस-5) 2019-20 के अनुसार, मोटापे से ग्रस्त महिलाओं की संख्या बढ़कर 24 प्रतिश्ात हो गई है, जो 2015-16 में 20.6 प्रतिशत थी। पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 18.4 प्रतिश्ात बढ़कर 22.9 प्रतिशत हो गया है। फ्रंट आफ पैक लेबलिंग के तहत चीनी, नमक और वसा की ऊंची मात्रा वाले उत्पादों के विपणन और विज्ञापन पर अधिक कर लगाना शामिल है। गैर-ब्रांडेड नमकीन, भुजिया, वेजिटेबल्स चिप्स और स्नैक्स पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है जबकि ब्रांडेड और पैकेटबंद उत्पादों के लिए जीएसटी दर 12 प्रतिशत है।