गणेश की तरह मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार करने के लिए भी मूर्तिकारों को शासन की गाइडलाइन का इंतजार करना पड़ रहा है। मां दुर्गा की स्थिापना में अभी लगभग एक माह है लेकिन मूर्तिकारों को किसी भी तरह के दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है। कोरोना काल में कलाकारों को ये तो समझ आ गया है कि इस बार बड़ी प्रतिमाओं को रखने की मनाही होगी। इस ओहापोह की हालत में मूर्तिकार बड़ी मूर्तियों को आकार देने के बजाए छोटी मूर्तियां गढ़ रहे हैं।
मूर्तिकारों की माने तो गणेश और दुर्गा में बनाई गई मूर्तियों से ही उनका साल भर का खर्च चलता है, लेकिन कोरोना ने इस साल इन दोनों बड़े त्योहारों में कलाकारों की कमर तोड़ दी है। माना में बड़ी संख्या में मूर्तिकार हैं जो छह माह पहले से प्रतिमा को आकार देना चालू करते हैं। मूर्तिकार राजेश चटर्जी बताते हैं कि हर साल वह 8 से 10 फीट उंची मूर्तियां तैयार करते थे, लेकिन इस बार वह 3 से 4 फीट की ही मूर्तियों को आकार दे रहे हैं। अभी तक एक भी बुकिंग नहीं हुई है,जिसके कारण एडवांस की राशी भी नहीं आई है ऐसे में मूतिर्यो को सजाना और बाकि अन्य खर्चो के लिए सोचना पड़ रहा है।
मूर्तिकारों की स्थिति बड़ी दयनीय होती जा रही है। किसी को कर्ज के कारण जमीन बेचनी पड़ रही है तो कुछ को घर चलाना मुश्किल हो गा है। माना स्थित मां काली मूर्तिकला के रंजीत विश्वास काफी परेशान है। गाइडलाइन नहीं मिलने के कारण मूर्ति बनाने में परेशानी हो रही है। वह बताते हैं कि गणेश के समय लिया गया लोन अभी तक नहीं पटा है। कुछ उम्मीद दुर्गा पूजा से थी अब वो ही धूमिल होती नजर आ रही है। अब तक कोई भी लेनदार मूर्ति के बारे में पूछने नहीं आया , जिसके कारण इस पूरे साल बड़ी मुसिबत का सामना करना पड़ेगा।