रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच नार्वे नोबेल कमेटी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व उनके सहयोगी बेलारूस का खुलकर विरोध करने वाले यूक्रेन, बेलारूस और रूस के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को इस साल शांति का नोबेल देने की घोषणा की है। इनमें बेलारूस के एलेस बियालियात्स्की, रूसी मानवाधिकार समूह मेमोरियल और यूक्रेनी संगठन सेंटर फार सिविल लिबर्टीज शामिल हैं। लगातार दूसरे साल पुतिन का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को नोबेल के लिए चुना गया है। पिछले साल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले रूसी समाचारपत्र नोवाया गजट के संपादक दिमित्री मुरातोव और फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा को नोबेल मिला था।
नार्वे नोबेल कमेटी की प्रमुख बेरिट रीस एंडरसन ने नोबेल विजेताओं के नाम की घोषणा के बाद कहा, “मानवाधिकार, लोकतंत्र और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के तीन चैंपियन को सम्मान मिल रहा है। मानवीय मूल्यों और कानून के सिद्धांतों की दिशा में अपने सतत प्रयासों से इन सभी ने शांति एवं राष्ट्रों के बीच सहयोग को लेकर अल्फ्रेड नोबेल स्वप्न को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।” बेलारूस के विदेश मंत्रालय ने बियालियात्स्की को नोबेल के लिए चुने जाने की निंदा की है।
मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार राजनीति से प्रेरित हो गए हैं। यह देखकर अल्फ्रेड नोबेल अपनी कब्र में दुखी हो रहे होंगे। हालांकि पुतिन या किसी अन्य को निशाना बनाकर पुरस्कार देने के प्रश्न पर एंडरसन ने कहा, “पुरस्कार किसी के विरोध में नहीं, किसी के कार्यों के सम्मान में दिए गए हैं। पुरस्कार पुतिन को संबोधित नहीं कर रहे हैं। हालांकि यह सच है कि रूस और बेलारूस में तानाशाही सत्ता है। हम दो तानाशाही सरकारों की और युद्ध का सामना कर रहे एक देश की बात कर रहे हैं।” बियालियात्स्की पिछली सदी के नौवें दशक से बेलारूस में मानवाधिकारों के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं। वहीं मेमोरियल की स्थापना सोवियत विघटन से पहले 1987 में हुई थी। इसका उद्देश्य कम्युनिस्ट अत्याचार के पीड़ितों की आवाज उठाना था। संगठन आज भी मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहा है। सेंटर फार सिविल लिबर्टीज की स्थापना यूक्रेन में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए 2007 में हुई थी।
उल्लेखनीय है कि महान विज्ञानी अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर 1901 में उनकी संपत्ति से चिकित्सा, भौतिकी, रसायन, साहित्य एवं शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार देने की शुरुआत हुई थी। 1968 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भी नोबेल दिया जाने लगा। चिकित्सा, भौतिकी, रसायन और अर्थशास्त्र के लिए विजेताओं का चयन रायल स्वीडिश एकेडमी आफ साइंसेज करती है। साहित्य के क्षेत्र में विजेता का चयप स्वीडिश एकेडमी और शांति के क्षेत्र में विजेता का चयन नार्वे नोबेल कमेटी करती है। इस साल स्वीडन के स्वांते पैबो को चिकित्सा के नोबेल के लिए चुना गया है। फ्रांस के एलेन आस्पेक्ट, अमेरिका के जान एफ क्लोजर व आस्ट्रिया के एंटन जीलिगर को संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल तथा अमेरिका की कैरोलिन आर बर्टोजी व के. बैरी शार्पलेस और डेनमार्क के मार्टेन मेल्डल को संयुक्त रूप से रसायन के नोबेल के लिए चुना गया है। साहित्य का नोबेल फ्रांस की एनी अर्नो ने जीता है। सोमवार को अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता का एलान होगा। 10 दिसंबर को पुरस्कार दिए जाएंगे।