स्कूली शिक्षा का नया पाठ्यक्रम बच्चों को न सिर्फ भारतीय जड़ों से जोड़ने वाला होगा, बल्कि भारतीय महापुरुषों के सोच से ओत-प्रोत भी होगा। इसमें विवेकानंद और श्री अरविदो की समग्र शिक्षा वाला सोच दिखेगा तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बच्चों को रूचिकर शिक्षा देने से जुड़े वह अनुभव भी शामिल होंगे जिसमें बच्चों को दिल, दिमाग और मेहनत से पढ़ाने की सीख थी।
इसके साथ ही गुरुवर रवींद्रनाथ टैगोर की प्रकृति से जुड़कर शिक्षा देने का सोच भी स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। स्कूली शिक्षा में इन सभी का सोच फाउंडेशनल स्तर से लेकर सेकेंडरी स्तर तक दिखेगा।
स्कूली शिक्षा के नए पाठ्यक्रम को तैयार करने में जुटे शिक्षा मंत्रालय ने फाउंडेशनल स्तर के लिए जारी किए फ्रेमवर्क में यह सोच सामने लाया है। जिन महापुरुषों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव किया गया है, उनमें स्वामी विवेकानंद, रवींद्र नाथ टैगोर, महात्मा गांधी, श्री अरविदों, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और जिद्दू कृष्णमूर्ति शामिल हैं। इन सभी ने अपने समय में शिक्षा को लेकर अपना एक सोच रखा था।