रायपुर। छत्तीसगढ़ की मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक में खनन के लिए चल रहे जमीन अधिग्रहण पर आपत्तियों का क्रम जारी है। अब केरल के सांसद बिनॉय विश्वम ने राज्यसभा में यह सवाल उठाया है। विश्वम ने केंद्रीय कोयला मंत्री से पूछा कि क्या मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं की सहमति ली गई। बिनॉय विश्वम के सवाल के लिखित उत्तर में केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया, यह अधिग्रहण कोल बियरर एक्ट के तहत हो रही है। इसमें ग्रामसभाओं से सहमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है। इसमें एक व्यवस्था है जिसके तहत अधिग्रहीत की जा रही जमीन से हितबद्ध व्यक्ति अधिसूचना प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर आपत्ति कर सकता है।
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री ने बताया, छत्तीसगढ़ सरकार के खनिज साधन विभाग ने एक आपत्ति की है। उस आपत्ति के मुताबिक मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक उनके लेमरु एलिफेंट रिजर्व के भीतर है। छत्तीसगढ़ के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने भी इस अधिग्रहण पर आपत्ति की है। वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला की आपत्ति है। स्थानीय गोंड और उरांव जनजातियों की ओर से एक आपत्ति मिली है। इसमें 468 लोगों के हस्ताक्षर हैं। केरल के बिनॉय विश्वम सीपीआई से राज्यसभा सांसद हैं। वे सीपीआई के राष्ट्रीय सदस्य सचिव भी हैं। 2006 से 2011 तक वे केरल के वन मंत्री रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी की स्थानीय इकाई की ओर से भेजी गई रिपोर्ट और मीडिया रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने राज्यसभा में यह सवाल उठाया है।
-खदान के लिए उजड़ेंगे 98 घर, 78 आदिवासियों के
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया, मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक क्षेत्र से 98 घरों को हटाने की जरूरत होगी। इसमें 78 घर आदिवासियों के हैं। अनुसूचित जातियों के 11, पिछड़ा वर्ग के 6 और सामान्य वर्ग के परिवारों के 3 घर शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया, खदान लेने वाली आंध्र प्रदेश खनिज विकास निगम ने इनके पुनर्वास के लिए करीब 4 किलोमीटर दूर खिरती गांव में जमीन चिन्हित की है। इसी के पास गिधमुड़ी-पतुरिया खदान से विस्थापित लोगों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था है।
-प्रस्तावित खदान क्षेत्र में 489 हेक्टेयर का संरक्षित जंगल
मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक के लिए जिस जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई है उसमें 502 हेक्टेयर वन भूमि है। इसमें 489 हेक्टेयर में संरक्षित वन है। मोरगा ओर केतमा गांव में स्थित 145 हेक्टेयर राजस्व वन भूमि भी इसके दायरे में है। अधिग्रहण अधिसूचना के मुताबिक 1.34 एकड़ सरकारी भूमि और 155 एकड़ निजी भूमि का भी अधिग्रहण होना है। यह पूरी जमीन कोरबा की पोड़ी उपरोड़ा तहसील के गांवों में है। राज्य सरकार उस पूरे क्षेत्र को लेमरु एलिफेंट रिजर्व की सीमा क्षेत्र में शामिल कर चुकी है। इस क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों और वनों की कटाई से हाथियों के आबादी क्षेत्र में आने की आशंका बढ़ गई है।
-खनन के विरोध में आज सम्मेलन
इस बीच सरगुजा क्षेत्र के खनिज बहुल इलाकों में खनन परियोजनाओं का विरोध जारी है। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने गुरुवार को मोरगा गांव में एक सम्मेलन का आयोजन किया है। इसमें प्रभावित 15 से 20 गांवों के लोग शिरकत करने वाले हैं। इस सम्मेलन में हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन परियोजनाओं को रोकने की मांग की जानी है।