शोधार्थियों ने बच्चों के गुस्से से जुड़े जोखिम कारकों का पता लगाया है, जो यह निर्धारित कर सकते हैं कि किशोर होने पर उनमें अवसाद या तनाव के विकास का खतरा है अथवा नहीं। अध्ययन निष्कर्ष जामा साइकियाट्री नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। वर्ष 1989 से 1993 के बीच अध्ययन में 165 बच्चों को शामिल किया गया। बच्चे जब अध्ययन में शामिल किए गए, तब उनकी उम्र चार महीने के आसपास थी। 26 वर्ष के होने तक उनकी निगरानी की गई। हालिया अध्ययन में इसके आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया।
यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास के स्कूल आफ बिहेवियरल एंड ब्रेन साइंसेज में साइकोलाजी के असिस्टेंट प्रोफेसर व अध्ययन के लेखक डा. अल्वा टांग ने पाया कि जो लोग बचपन में अधिक हिचकते हैं या जिन बच्चों का स्वभाव दब्बू किस्म का होता है, उनमें जीवन के अगले चरणों में अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने की आशंंंका अधिक होती है।
टांग ने कहा, अध्ययन निष्कर्ष मस्तिष्क प्रणालियों पर प्रकाश डालता है और उनके संयोजन से यह बताता है कि किस व्यक्ति में मानसिक विकार का खतरा अधिक है। टांग ने यह शोध तब किया था, जब वह यूनिवर्सिटी आफ मैरीलैंड से जुड़े थे।