महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के संकट में घिरने के बाद शिवसेना को टूट से बचाने के लिए शिवसेना नया दांव खेल रही है। उसने बागी विधायकों का आह्वान किया है कि अगर वे 24 घंटे के अंदर मुंबई आकर उद्धव ठाकरे के सामने अपनी बात रखते हैं, तो पार्टी एमवीए गठबंधन से बाहर आने पर विचार कर सकती है। वहीं, एमवीए के दूसरे घटक दलों कांग्रेस और राकांपा ने मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे को समर्थन जारी रखने का फैसला किया है। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सरकार बनाए रखने के सारे प्रयत्न किए जाएंगे। बहुमत है या नहीं, इसका फैसला विधानसभा में ही होगा।
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे गुट की ओर से जारी एक प्रस्ताव में और उससे पहले शिंदे की ओर से दिए गए बयानों में शिवसेना की दुर्दशा का ठीकरा एमवीए सरकार पर फोड़ते हुए पार्टी कैडर का सम्मान बचाने के लिए बगावत का रुख करने की बात कही गई थी। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने बागी विधायकों का आह्वान किया कि अगर वे 24 घंटे के अंदर मुंबई आकर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने अपनी बात रखते हैं, तो पार्टी एमवीए सरकार से बाहर निकलने पर विचार कर सकती है। लेकिन उन्हें सामने आकर बात करनी होगी। मीडिया या इंटरनेट मीडिया के जरिये बात करके काम नहीं चलेगा। राउत के इस बयान के बाद उद्धव सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस और राकांपा की तरफ से भी शिवसेना के इस ‘नए दांव” को समर्थन करने वाली प्रतिक्रियाएं आ गईं।
राकांपा की ओर से उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि पार्टी प्रमुख शरद पवार की उपस्थिति में पार्टी विधायकों एवं सांसदों की बैठक में फैसला किया गया है कि इस समय जो परिस्थिति पैदा हुई है, उसमें उनकी पार्टी ने उद्धव को पूरा समर्थन देने का फैसला किया है। संजय राउत द्वारा अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए एमवीए से निकलने की मंशा जाहिर करने संबंधी बयान पर अजीत ने कहा कि शिवसेना हमारे गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। कई बार पार्टी को विधायकों के दबाव में कुछ आंतरिक फैसले लेने पड़ते हैं। उन्होंने किस दबाव में यह बात कही है, मुझे नहीं पता। हम उनकी पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे से पूछेंगे कि उनके मन में क्या है? लेकिन हमारे पार्टी प्रमुख शरद पवार का मानना है कि चूंकि हमने और कांग्रेस ने मिलकर शिवसेना नीत उद्धव सरकार बनवाई थी, इसलिए मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे को हमारा समर्थन जारी रहेगा।
कांग्रेस की ओर से भी करीब-करीब ऐसा ही बयान सामने आया है। कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री अशोक चह्वाण ने कहा, हमने 2019 में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम के एजेंडे पर एमवीए सरकार बनाई थी। हम आज भी अपने उस निर्णय पर कायम हैं और एमवीए सरकार को हमारा समर्थन जारी रहेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी कहा कि भाजपा, शिवसेना को तोड़कर एमवीए सरकार को अस्थिर करना चाहती है। हम इस मसले का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा समर्थन एमवीए सरकार को जारी रहेगा।
शिंदे बोले, महाशक्ति के रूप में एक राष्ट्रीय दल हमारे साथ
एकनाथ शिंदे की ओर से शिवसेना के 37 विधायकों के अपने साथ होने की बात कही गई है। वह सामने आए एक वीडियो में बागी विधायकों के सामने यह कहते भी दिखाई दे रहे हैं कि किसी से डरने की जरूरत नहीं है। महाशक्ति के रूप में एक राष्ट्रीय दल हमारे साथ खड़ा है। भाजपा शिंदे की बगावत से खुद को जोड़ने से अब तक कतराती आ रही है। राकांपा नेता अजीत पवार ने भी कहा कि शिंदे की बगावत में उन्हें भाजपा का कोई हाथ नजर नहीं आता। लेकिन खुद शिंदे का बयान इशारा करता है कि वह इन दिनों पैदा हुई राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा के संपर्क में हैं।