पाकिस्तान में बलूच और सिंधियों पर लंबे समय से अत्याचार जारी है। अब दोनों समुदाय ने मिलकर पाकिस्तान और इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का फैसला लिया है। दोनों ही एक तरह के जुल्म के शिकार है। लिहाजा दोनों ने मिलकर अब सरकार और सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यह फैसला सिंधियों और बलूचों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली संस्थाओं ने लिया है। पाक सेना और खुफिया विभाग के अत्याचार की इंतहा टोरंटो में करीमा बलूच की हत्या के रूप में सामने आई है। इसमें पाक की खुफिया एजेंसी आइएसआइ पर शक जताया गया है।
करीमा बलूच निर्वासित होकर कनाडा के टोरंटो में रह रही थीं। यहां पर 20 दिसंबर को उनका शव झील के किनारे मिला था। करीमा बलूच की हत्या के विरोध में टोरंटो के साथ ही पाकिस्तान, अमेरिका, नीदरलैंड और जर्मनी में इमरान सरकार के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन हुए हैं। इनमें बलूचों के साथ सिंधियों ने भी बराबरी से भाग लिया है। सिंधी बलूच फोरम ( एसबीएफ) के बैनर तले 16 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में भविष्य की रूपरेखा तय की जाएगी।
सिंधी बलूच फोरम सिंधियों और बलूचों के साथ लंबे समय से होने वाले अत्चाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को एक मंच पर ला रही है। अब ये दोनों ही समुदाय लंबी लड़ाई का मन बनाए हुए हैं। लंबे समय से दमन चक्र से पीड़ित इन दोनों कौम के एक होने से पाक सरकार की अब नींद उड़ गई है।