भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में कई राज्य अड़ंगा लगा रहे हैं, इससे जांच सिरे नहीं चढ़ पा रही है। छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, बंगाल, पंजाब, राजस्थान और झारखंड में 221 मामले लंबित हैं। इन राज्यों के सामान्य सहमति वापस लेने के कारण सीबीआइ 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू नहीं कर पा रही है। सबसे अधिक 29 हजार करोड़ के मामले अकेले महाराष्ट्र के हैं। महाराष्ट्र को छोड़कर सभी पांच राज्यों में विपक्षी दलों का शासन है। महाराष्ट्र में भी, इस साल जून तक विपक्षी सरकार थी। अब वहां भाजपा गठबंधन की सरकार है।
केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में भाजपा सदस्य सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि राज्य सरकार की सहमति के अभाव में सीबीआइ द्वारा जांच के लिए लंबित मामलों की कुल संख्या इस वर्ष 30 जून तक 221 है। इनमें 40 मामले एक वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं। 48 मामले ऐसे हैं जो छह महीने से एक वर्ष के बीच की अवधि के हैं। इसके अलावा 133 मामले छह महीने से कम समय से लंबित हैं। इन मामलों में शामिल कुल राशि 30,912 करोड़ रुपये है।
महाराष्ट्र में कुल 168 मामले लंबित हैं। इनमें से 39 एक वर्ष से अधिक, 38 छह माह से एक वर्ष और 91 छह माह से कम समय से लंबित हैं। बंगाल में 27 लंबित मामले हैं। इनमें से एक मामला एक वर्ष से लंबित है। एक मामला छह महीने से एक वर्ष के बीच का है जबकि 25 केस छह महीने से कम समय से लंबित हैं। महाराष्ट्र और बंगाल में लंबित मामलों में शामिल राशि क्रमश: 29,040 करोड़ और 1,194 करोड़ रुपये है। पंजाब, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में कुल मिलाकर 26 मामले लंबित हैं, जिनमें कुल राशि678 करोड़ रुपये है।
सरकार ने पिछले पांच सालों में विज्ञापनों पर 3,339.49 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रिंट मीडिया में विज्ञापन पर सरकार ने 2017-18 से लेकर इस वर्ष 12 जुलाई तक 1756. 48 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस अवधि में इलेक्ट्रोनिक मीडिया को 1583 करोड़ के विज्ञापन दिए गए।
प्रसार भारती के शीर्ष पदों पर रिक्तियों का कारण उपयुक्त अभ्यर्थियों का नहीं मिलना है। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि प्रसार भारती के सीईओ प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण निगम) अधिनियम, 1990 की धारा-आठ के तहत बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं। वह प्रसार भारती के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी तृण्ामूल कांग्रेस के सदस्य जवाहर सरकार के उस सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने जानना चाहा था कि डेढ़ साल से अध्यक्ष का पद खाली क्यों है?
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि केंद्रीय कानूनों और संवैधानिक संशोधन अधिनियमों को चुनौती देने वाले 35 मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इनमें तत्काल तीन तलाक की प्रथा को दंडित करने वाले कानून से जुड़ा मामला भी शामिल है।