स्विट्जरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी आफ बर्न के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि सोने के दौरान किसी व्यक्ति के दिमाग की तरंगें खतरा लेने की क्षमता का निर्धारण करती हैं। यह अध्ययन निष्कर्ष ‘न्यूरोइमेज” नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। न्यूरोसाइंटिस्ट डारिया नाच के अनुसार, ‘गहरी नींद के दौरान किसी व्यक्ति के दाहिने प्रीफ्रंटल कार्टेक्स पर तरंगें जितनी धीमी होती हैं, जोखिम के लिए उसकी प्रवृत्ति उतनी ही अधिक होती है। मस्तिष्क का यह क्षेत्र अन्य कार्यों के अलावा स्वयं के आवेगों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है।” गहरी नींद के दौरान तरंगें धीमी होती हैं। ये अच्छी नींद की गुण्ावत्ता का संकेत देती हैं। मस्तिष्क में धीमी तरंगों का टोपोग्राफिकल (स्थलाकृतिक) वितरण बेहद व्यक्तिगत और समय के साथ अत्यधिक स्थिर होता है। इसका मतलब है कि प्रत्येक व्यक्ति की एक खास न्यूरोनल स्लीप प्रोफाइल होती है। अध्ययन में अच्छी नींद लेने वाले 54 लोगों को शामिल किया गया, जो आम तौर पर सात से आठ घंटे सोते हैं। इनकी एक्टिग्राफ के जरिये पहचान की गई। एक्टिग्राफ के जरिये नींद के दौरान की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। अध्ययन की नेतृत्वकर्ता लोरेना गैनोटी के अनुसार, ‘किसी व्यक्ति की धीमी तरंगों की प्रोफाइल की सही व्याख्या सिर्फ सामान्य नींद के दौरान की जा सकती है।”