दो वर्ष बाद फिर चीन के विश्वविद्यालयों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों को लुभाने का काम शुरु हो गया है। भारी तादाद में भारतीय छात्र भी वहां एडमिशन लेने में रुचि दिखा रहे हैं या कोरोना के बाद अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी करने के लिए चीन जाने की तैयारी में हैं। ऐसे में भारत सरकार ने फिर इन छात्रों को आगाह किया है कि वे सोच समझ कर और पूरी जानकारी लेने के बाद ही चीन के विश्वविद्यालयों में दाखिला लें।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि 1300 भारतीय छात्रों को पढ़ाई के लिए चीन ने वीजा दिया है। सूत्रों के अनुसार 350 से अधिक छात्र अपने कालेजों में फिर से शामिल होने के लिए लौट आए हैं। भारतीय छात्रों को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की तरफ से चीन में शिक्षा लेने वाले छात्रों के लिए जारी नये नियमों को भी संज्ञान में लाया गया है और उसी के हिसाब से आगे फैसला करने को कहा गया है। बीजिग स्थित भारतीय दूतावास ने इस बारे में जानकारी दी है। भारतीय दूतावास ने 10 सितंबर, 2022 को भी एक विस्तृत सलाह जारी की थी।
छात्रों को याद दिलाया गया है कि 18 नवंबर, 2021 को एनएमसी की तरफ से जारी दिशानिर्देश में साफ कहा गया है कि जिस देश में भारतीय छात्र मेडिकल की डिग्री हासिल कर रहे हैं, उन्हें उस देश के संबंधित प्रोफेशनल नियामक एजेंसी से आवश्यक लाइसेंस लेना जरूरी है कि जो डिग्री उन्हें दी जा रही है उसका इस्तेमाल वो उस देश में ही मेडिकल प्रैक्टिस में कर सकते हैं। एक तरह से जो डिग्री वहां के नागरिकों को चिकित्सा प्रैक्टिस के लिए दी जा रही है वही सुविधा वहां शिक्षा हासिल करने वाले विदेशी छात्रों को भी मिलनी चाहिए।
भारतीय दूतावास ने इस बारे में चीन के संबंधित अधिकारियों व विश्वविद्यालयों को भी इस बारे में जानकारी दी है कि वहां चिकित्सा शास्त्र में पढ़ाई करने वाले सभी भारतीय छात्रों को एनएमसी की उक्त दिशानर्देश के मुताबिक वहां सुविधा मिलनी चाहिए। नवंबर 2021 के बाद चीन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए एडमिशन लेने वाला भारतीय छात्र अगर चीन में मेडिकल प्रैक्टिशनर का लाइसेंस नहीं ले पाता है तो उसे भारत में भी एनएमसी की तरफ से आयोजित होने वाले परीक्षा के लिए अयोग्य ठहरा दिया जाएगा। इस परीक्षा में पास होने वाले छात्रों को ही भारत में प्रैक्टिस करने की इजाजत मिलती है।
यह भी पता चला है कि चीन के कुछ विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को वहां की संबंधित एजेंसी ही मेडिकल प्रैक्टिसशनर का लाइसेंस नहीं देती है। इसके काट में इन विश्वविद्यालयों ने विदेशी छात्रों को सहायक डाक्टर के पद पर काम करने का लाइसेंस देने का प्रस्ताव किया है। इस बारे में कई छात्रों ने भारतीय दूतावास से जानकारी मांगी है। दूतावास ने कहा है कि वह इस बारे में आवश्यक जानकारी एकत्रित कर रहा है और उसे जल्द ही इंटरनेट मीडिया के जरिये बताया जाएगा। चीन के विश्वविद्यालयों मे अभी 23 हजार भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और इनमें से अधिकांश मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से हजारों का भविष्य अभी अधर में है क्योंकि वो वापस जा कर दोबारा पढ़ाई शुरु नहीं कर पा रहे। हाल ही में चीन ने इन छात्रों को बुलाने की प्रक्रिया शुरू की है लेकिन अभी भी कई तरह की समस्याएं हैं।