बदलती जीवन शैली खानपान और आपाधापी के कारण बहुत बड़ी आबादी मधुमेह के खतरे का सामना कर रही है। मधुमेह से पीड़ित लोग खाने-पीने की चीजों में चीनी की जगह कृत्रिम मिठास (शुगर फ्री) का प्रयोग कर रहे हैं। कृत्रिम मिठास खाद्य या पेय पदार्थ की मिठास को बरकरार रखते हुए चीनी के प्रभाव और संबंधित कैलोरी को कम करती है। लेकिन एक अध्ययन में पता चला है कि कुछ कृत्रिम मिठास कैंसर के खतरे को बढ़ाती है। अध्ययन के निष्कर्ष जर्नल ‘पीएलओएस मेडिसिन” में प्रकाशित हुए हैं।
कृत्रिम मिठास के कैंसर कारक की संभावना का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने न्यूट्रिनेट-सांटे अध्ययन में भाग लेने वाले 102,865 फ्रांसीसी वयस्कों के आंकड़े का विश्लेषण किया। न्यूट्रिनेट-सांटे अध्ययन न्यूटिशनल एपिडेमिओलाजी रिसर्च टीम (ईआरईएन) द्वारा 2009 से चलाया जा रहा वेब-आधारित समूह है। इस अध्ययन में प्रतिभागी स्वेच्छा से नामांकन कराते हैं और मेडिकल हिस्ट्री, सामाजिक जनसांख्यिक, आहार, जीवन शैली और स्वास्थ्य डेटा की स्वैच्छिक जानकारी देते हैं। शोधकर्ताओं ने 24 घंटे के आहार रिकार्ड से कृत्रिम मिठास के सेवन संबंधी आंकड़ा जुटाया। कैंसर इलाज संबंधी सूचनाएं एकत्र करने के बाद शोधकर्ताओं ने कृत्रिम मिठास के प्रयोग और कैंसर के खतरे के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए सांख्यिकी विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग कृत्रिम मिठास का ज्यादा प्रयोग करते हैं उनमें इसका प्रयोग नहीं करने वालों की तुलना में कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर और मोटापे से संबंधित कैंसर का खतरा पाया गया।