दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में इस मानवरहित कोच वाशिंग प्लांट को सबसे पहले बिलासपुर मंडल के कोचिंग डिपो में लगाया गया। इससे पानी, समय और मैनपावर की भी बचत हो रही है। बल्कि, ट्रेन के कोचों की धुलाई भी शानदार तरीके से हो रही है। इस धुलाई से कोच चंद घंटों में ही चमक जाते हैं। इससे पहले मैन्युअली ट्रेन के एक-एक कोच को धोने के लिए 1500 लीटर पानी की जरूरत होती थी। ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट से केवल 300 लीटर पानी में धुल जाती है।
देश की धड़कन भारतीय रेलवे से हर दिन लाखों की संख्या में लोग सफर करते हैं। ट्रेन का सफर बेहद सुविधाजनक और किफायती है। देश की बहुतायत आबादी लंबे सफर के लिए ट्रेन को ही पसंद करती है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अपने यात्रियों को नई और उन्नत सुविधाएं देने की कोशिश कर रही है। ये सुविधाएं यात्रा को सुविधाजनक के साथ संक्रमणमुक्त रखने में भी मदद करेंगी।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की यह हमेशा कोशिश रहती है कि वह यात्रियों को रेलवे स्टेशन और ट्रेन में साफ-सफाई की सुविधा दे सकें। उन्हीं में से एक है ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अपने परंपरागत धुलाई के तरीकों को खत्म करके ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट की सुविधा शुरू दिया है।