नई दिल्ली। जब से कोरोना वायरस फैला है हर देश इससे त्रस्त आ चुका है। पूरी दुुनिया इसकी चपेट में आ चुकी है। अमेरिका जैसा देश भी कोरोना वायरस पर काबू पाने में नाकाम रहा। दुनियाभर में कोरोना ने सबसे ज्यादा तबाही अमेरिका में ही मचाई है उसके बाद कोरोना संक्रमितों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है। लेकिन एक बात कोरोना वायरस के विशेषज्ञों को हैरान कर रही है कि सघन आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत में कोरोना का कहर ऊंचाइयों को नहीं छू पाया और 2021 आते-आते ध्वस्त हो गया। इससे जुड़ा रहस्य विशेषज्ञों को भी हैरान कर देने वाला है। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत में कोरोना वायरस के मामले कैसे घट रहे हैं, जबकि एक समय ऐसा लग रहा था कि यह सबसे अधिक प्रभावित देश अमेरिका को भी पछाड़ सकता है। सितंबर 2020 में भारत में प्रति दिन करीब एक लाख नए मामले दर्ज किए जा रहे थे, लेकिन यह अक्तूबर आते-आते घट गया और जनवरी 2021 आते-आते लगभग प्रति दिन 10,000 नए मामलों के आंकड़े पर पहुंच गया है। इस रहस्य को समझने के लिए विशेषज्ञों को भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
यह है विशेषज्ञों का आकलन
भारत सरकार का मानना है कि मास्क लगाने और सामाजिक दूरी का पालन करने की वजह से कोरोना का असर कम हुआ है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के बड़े शहरों में लोगों ने हर्ड इम्यूनिटी हासिल कर ली जिसका अर्थ है कि वायरस ने ग्रामीण क्षेत्रों की ओर फैलना शुरू किया लेकिन इसका असर बेहद कम रहा। हाल ही के सर्वे में पता चला कि दिल्ली के 56 फीसदी लोगों में कोविड एंटीबॉडी पाए गए जो कि हर्ड इम्यूनिटी के लिए जरूरी 70 फीसदी से काफी कम है। भारत में केवल 20 फीसदी मौतें के मामले में ही चिकित्सीय प्रमाणपत्र मिलता है, 80 फीसदी मौतों का कोई प्रमाणीकरण नहीं होता। इसके आधार पर विश्लेषक ये भी कह रहे हैं कि भारत में मौतों का आंकड़ा दोगुना या तीन गुना रहा होगा।
मुंबई-पुणे में हर्ड इम्यूनिटी
भारत से दूसरे सबसे बड़े शहर मुंबई और पुणे में कराए गए एंटीबॉडी सर्वे में सामने आया कि यहां 50 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बन गई। सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो गई जिसने वायरस को ज्यादा कहर मचाने नहीं दिया। वायरस ग्रामीण इलाकों की तरफ भी बढ़ा, लेकिन इसका असर कम रहा। कम आबादी वाले इलाके में वायरस का असर कम होता है। इसी वजह से यहां मामले लगातार घटते चले गए।
इसके साथ ही ये बात भी सच है कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं होने की वजह से मामले पहचाने नहीं जा सके। आकड़े बताते हैं कि भारत में रोजाना प्रति 1000 लोगों में सिर्फ 0.5 लोगों का ही स्वाब टेस्ट हुआ था। ये किसी भी देश में जांच का सबसे कम आंकड़ा है। पिछले साल सितंबर में आए आंक४ड़ों से पता चलता है कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में टेस्ट की संख्या बेहद रही। इस वजह से भी कोरोना के कई मामले पहचान में नहीं आ सके।