कोई गैस चूल्हा रिपेयर तो कोई गद्दा बेचने के नाम से घूम रहा, भूमिका है संदिग्ध
बालोद ।इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में फेरी वालों की बाढ़ आ गई है जो संदिग्ध अवस्था में गांव में घूम रहे हैं और कई बार चोरी की बढ़ती घटनाओं में इन लोगों का भी हाथ रहता है। कई बार बाहर के लोग इसी तरह सामान बेचने की आड़ में आते हैं और रेकी करके मौका पाकर चोरी कर लेते हैं। तो वहीं लोगों को कई तरीकों से ठगने का प्रयास भी इनके द्वारा किया जाता है। हाल ही में संदिग्ध रूप से घूम रहे लोग या तो गैस चूल्हा रिपेयरिंग के बहाने घरों में प्रवेश कर रहे हैं या फिर गलियों में गद्दा बेचने का काम कर रहे हैं या और किसी तरह का सामान लाकर यहां बेच रहे हैं। जो कि छत्तीसगढ़ के भी नहीं हैं। कई नागपुर से कोई अलीगढ़ क्षेत्र के हैं। अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों में यह पहुंच रहे हैं और भोले भाले लोगों को अपना ग्राहक बना रहे हैं और ऐसे सामानों के बदले ज्यादा रकम ऐठ रहे हैं। पर इनके ऊपर पुलिस प्रशासन द्वारा किसी तरह की ठोस कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। विगत दिनों छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के साथियों द्वारा भी ऐसे मामलों को उजागर किया गया और संबंधित संदिग्ध लोगों को पुलिस थाने को भी सुपुर्द किया गया। लेकिन कोई केस ना बनाकर उन्हें समझा-बुझाकर छोड़ दिया गया। सामान को खराब बताकर बदलते हैं फिर पॉलिश कर उन्हें बेचते हैं। छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना से जुड़े यशवंत साहू ने बताया कि विगत दिनों ग्राम पंचायत पसौद में भी एक ग्रामीण पोषण साहू के साथ इस तरह की धोखाधड़ी की गई। यहां पर गैस चूल्हा रिपेयर करने के नाम से नागपुर महाराष्ट्र के गिरोह सक्रिय हो गए थे। जो आस पास के कई गांव में ठहरे हुए थे और घूम घूम कर गैस चूल्हा रिपेयरिंग कर रहे थे। इस गिरोह के सदस्य खराब ना हुए चीजों को भी बदल कर नया सामान लगाने के नाम पर ज्यादा पैसा ले लेते थे। जो काम तीन 400 में होता था उनके लिए वह 1500 तक भी वसूल लेते थे और नया सामान भी कोई नया नहीं होता था जबकि बल्कि पुराने सामानों पर ही पॉलिस चढ़ाकर नया बनाकर बेच दिया जाता था इसका खुलासा होने पर ग्रामीणों ने आक्रोश जताया था वह उन गिरोह को पुलिस के हवाले भी किया था। पर थाने में उन्हें भी समझा कर छोड़ दिया गया। तो वही एक और गिरोह गद्दा बेचने के नाम पर घूम रहे हैं जो कि एक प्रसिद्ध कंपनी के नाम से डुप्लीकेट गद्दा बनाकर बेच कर ग्राहकों को बेवकूफ बना रहे हैं। इसका एक मामला बालोद थाना क्षेत्र में भी सामने आ चुका है। यहां भी छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के लोगों ने संदिग्ध रूप से अलीगढ़ के गद्दा बेचने वालों को पकड़ा और पुलिस के हवाले किया था। इसी तरह गुरुर ब्लॉक के गांव में भी इस तरह का गिरोह घूम रहा है। जो कि भोले भाले लोगों को अपना शिकार भी बना रहे हैं।
बिना मुसाफिरी दर्ज कराएं आते हैं सामान बेचने
ज्ञात हो कि बाहर यानी दूसरे राज्य से आने वाले लोगों के लिए नियम है कि उन्हें संबंधित थाने में जाकर अपनी मुसाफिरी दर्ज करानी होती है या फिर जिस पंचायत क्षेत्र में ठहर रहे हैं वहां सूचना देनी रहती है। वहां अपना पहचान पत्र जमा करना रहता है ताकि किसी तरह की कोई अपराध हो तो उनकी कोई संदिग्ध भूमिका हो तो उनकी पता तलाश में पुलिस या प्रशासन को सुराग मिल सके। पर लोग खासतौर से संदिग्ध लोग इस तरह से खुद को सुरक्षित रखने के लिए कोई मुसाफिरी दर्ज नहीं कराते हैं और सीधे आकर गांव में अपना सामान बेचने का धंधा शुरू कर देते हैं। यही वजह है कि कई बार चोरी या लूटपाट की घटना में आरोपी पकड़ में नहीं आते क्योंकि पुलिस प्रशासन के सामने संबंधित का कोई पहचान पत्र नहीं रहता। अधिकतर चोरी व लूटपाट रेकी करके ही की जाती है और बाहर से आने वाले संदिग्ध भी आरोपी निकलते हैं। कई बार आसपास के जिलों के आरोपी भी अपराध करने इस तरह गांव में आ जाते हैं। बाहर से लोग आसानी से स्थानीय लोगों को किसी भी तरह का लालच देकर अपने झांसे में ले लेते हैं।