राजस्थान की राजधानी जयपुर में शहीदों की वीरांगनाओं के साथ पुलिसकर्मियों की बदसुलूकी का मामला तूल पकड़ने लगा है। पुलवामा हमले के शहीदों की वीरांगनाओं ने पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पयलट से मुलाकात की और न्याय की मांग की। आधा दर्जन वीरांगनाएं पायलट के आवास पर पहुंचीं और रोने लगीं। इस पर पायलट उनके पास पहुंचे। रोते हुए वीरांगनाओं ने पायलट से कहा कि हम एक दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने जा रही थीं तो पुलिसकर्मियों ने हमारे साथ बुरा बर्ताव किया। हाथ पकड़कर घसीटा और धक्के मारे। हमारे पति देश की रक्षा के लिए शहीद हो गए अब हमें भी गोली मार दीजिए।
पायलट ने वीरांगनाओं के साथ जमीन पर बैठ कर बात की। वीरांगनाओं को पायलट के बंगले पर खाना खिलाया गया। इसके बाद पायलट ने मीडिया से कहा कि वीरांगनाओं के साथ जिस तरह से बदसुलूकी हुई है, उसके जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए। पूरे देश ने देखा कि किस तरह से वीरांगनाओं के साथ पुलिसकर्मियों ने बर्ताव किया है। यह निंदनीय है। वीरांगनाओं के साथ इस तरह की बदसुलूकी अस्वीकार्य है। उधर, इस मामले में सरकार की तरफ से कहा गया कि पुलवामा के शहीदों की वीरांगनाओं को कारगिल के शहीदों के स्वजन के समान ही पैकेज दिया गया है। इसमें 25 लाख नकद और 25 बीघा जमीन अथवा हाउसिंग बोर्ड का एक मकान शामिल है।
शहीद के माता-पिता को पांच लाख रुपये की एफडी भी करा कर दी गई। शहीद की वीरांगना खुद सरकारी नौकरी नहीं करना चाहे तो अपने बेटा-बेटी के लिए सुरक्षित रख सकती है। वहीं, पायलट के आवास पर पहुंची वीरांगनाओं का कहना है कि उन्हें न तो अनुकंपा नियुक्ति दी गई और न ही उनके पति के नाम से स्मारक बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि वीरांगनाएं भाजपा के राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा के साथ पिछले चार दिन से जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रही हैं।