फिल्म आदिपुरुष को लेकर विरोध के स्वर अभी बढ़ते नजर आ रहे हैं। लोग मेकर्स पर तरह-तरह के सवाल कर रहे हैं। इस बीच एक याचिकाकर्ता ने लखनऊ हाई कोर्ट में फिल्म को लेकर याचिका दायर की थी जिस पर कोर्ट ने फिल्म के मेकर्स को जबरदस्त तरीके से लताड़ दिया है।
दर्शकों का कहना है कि इस पूरी फिल्म में रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथ का अपमान किया गया है। इस फिल्म के खिलाफ अधिवक्ता कुलदीप तिवारी ने इलाहाबाद हाई- कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की थी। हाई- कोर्ट में इस य़ाचिका पर संज्ञान लेते हुए 26 जून यानी आज इस पर सुनवाई भी हुई. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सेंसर बोर्ड और फिल्म के निर्माताओं को जमकर क्लास लगा दी है।
आदिपुरुष को लेकर याचिका पर सुनवाई के दौरान आज लखनऊ हाईकोर्ट में जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की डिवीजन बेंच में इस केस की सुनवाई हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने माननीय न्यायालय में बहस के दौरान अपना पक्ष रखते हुए फ़िल्म में दिखाए गए आपत्तिजनक तथ्यों और संवाद से माननीय न्यायालय को अवगत कराया। 22 जून को प्रस्तुत अमेंडमेंट एप्लीकेशन को न्यायालय द्वारा स्वीकृत करते हुए सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी सिंह से पूछा कि क्या करता रहता है सेंसर बोर्ड? सिनेमा समाज का दर्पण होता है, आगे आने वाले पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हो? क्या सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है? कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ रामायण ही नहीं बल्कि पवित्र कुरान, गुरु ग्रन्थ साहिब और गीता जी जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो कम से कम बक्श दीजिए बाकी जो करते हैं वो तो कर ही रहे हैं।