गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में फर्जी दस्तावेज बनाकर तीस्ता सीतलवाड़ तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक पारी खत्म करने और उन्हें फांसी तक की सजा दिलाना चाहती थीं। इसके लिए वह अपने दो करीबी तत्कालीन आइपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के साथ मिलकर फर्जी सुबूत तैयार कर रही थीं। वह तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष, एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कार्यकर्ता और दिल्ली के पत्रकारों के भी संपर्क में थीं। विशेष जांच दल (एसआइटी) ने कोर्ट में दाखिल छह हजार से अधिक पेज के आरोप पत्र में यह बात कही है।
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में फर्जी दस्तावेज बनाने के मामले की जांच करने वाली अहमदाबाद पुलिस की एसआइटी के अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त बीवी सोलंकी ने बताया कि बुधवार को 6,300 पेज का आरोप पत्र मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट एमवी चौहान की कोर्ट में दाखिल किया गया। इसमें तीस्ता, श्रीकुमार और भट्ट को आरोपित बनाया गया है। इसमें 90 गवाहों से पूछताछ की गई जिनमें कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शक्तिसिंह गोहिल, पूर्व आइपीएस एवं अधिवक्ता राहुल शर्मा भी शामिल हैं। तीस्ता फर्जी दस्तावेजों की सरकारी दस्तावेज के रूप में आधिकारिक एंट्री के लिए अपने करीबी आइपीएस अधिकारी श्रीकुमार एवं संजीव भट्ट की मदद लेती थीं।
दंगा पीड़ितों को धमकाते थे:
एसआइटी ने कहा है कि श्रीकुमार और संजीव भट्ट दंगा पीड़ितों के शपथ पत्र को सरकारी दस्तावेज के रूप में पुष्टि कराते थे। अगर कोई दंगा पीड़ित शपथ पत्र देने से आनाकानी करता तो उसका अपहरण कर धमकाने तथा उसे तीस्ता की बात मान लेने का दबाव डालते थे। पीड़ितों से यह भी कहा जाता था कि अगर वे दस्तावेज बनाने से मना करेंगे तो मुस्लिम समुदाय के दूसरे लोग उनके दुश्मन हो जाएंगे और हो सकता है कि वे आतंकवादियों के निशाने पर भी आ जाएंगे।
पीड़ितों के नाम पर चंदा जुटाते थे
अहमदाबाद के शाहपुर स्थित तीस्ता दफ्तर इनकी कारगुजारियों का अड्डा बन गया था। यहां तीस्ता और उनके साथी गुजरात सरकार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गुजरात को बदनाम करने की साजिशें रचा करते थे। दंगा पीड़ितों के फोटो व वीडियो के जरिए देश-विदेश से चंदा जुटाने का काम होता था। शपथ पत्र अंग्रेजी में तैयार होते थे, जिसे पीड़ित पढ़ नहीं सकते थे। कोई उससे आनाकानी करता तो उसे बताया जाता है इससे नरेन्द्र मोदी को ही फायदा होगा।
भट्ट ने दिल्ली के पत्रकार से पूछा पैकेट मिल गया क्या
आरोप पत्र में तीस्ता की ओर से गुजरात के तत्कालीन नेता विपक्ष को मेल करने का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा दिल्ली के कई नामी पत्रकारों, गैरसरकारी संगठनों के कार्यकर्ता भी इनके संपर्क में थे। हिरासत में मौत के मामले में जेल में बंद पूर्व आइपीएस संजीव भट्ट ने दिल्ली के एक बड़े पत्रकार को मेल कर पूछा बताया कि उन्हें वह पैकेट मिल गया क्या, इस पत्रकार को भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।