रूस और यूक्रेन के बीच तनाव और अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना के बीच इस सप्ताह स्थानीय शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। विश्लेषकों के मुताबिक अभी बाजार एक दायरे में ही रहेगा। साथ ही निवेशकों की निगाह वैश्विक रुख, मुद्रास्फीति के आंकड़ों और कंपनियों के तिमाही नतीजों पर रहेगी। इसके अलावा रुपये का उतार-चढ़ाव, विदेशी संस्थागत निवेशकों का रुझान और कच्चे तेल के दाम भी बाजार को दिशा देंगे। बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों का सेंसेक्स 491.90 अंक या 0.83 प्रतिशत के नुकसान में रहा।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, ‘दुनियाभर के बाजार अमेरिका में ब्याज दरों में भारी बढ़ोतरी की संभावना के बीच समायोजन का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ा तनाव चिंता की वजह बना हुआ है।” घरेलू मोर्चे पर इस सप्ताह मुद्रास्फीति के आंकड़ें आने हैं और साथ तिमाही नतीजों का अंतिम दौर है। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजारों के लिए एफआइआइ का रुख भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अभी वे जमकर निकासी कर रहे हैं। इस महीने एफआइआइ पूंजी बाजार से श्ाुद्ध रूप से 14,930 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। रेलिगेयर ब्रोकिंग के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च अजित मिश्रा ने कहा, प्रमुख घटनाक्रम पीछे छूटने के बाद अब निवेश्ाकों की निगाह वैश्विक बाजारों और कंपनियों के तिमाही नतीजों पर रहेगी। वृहद मोर्चे पर बाजार सोमवार को औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया देगा। इसके अलावा थोक और खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े भी 14 फरवरी को आने हैं।