न्यू यार्क। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक ऐसे एस्टेरॉयड पर यान भेजने जा रहा है जो पृथ्वी पर मौजूद हर शख्स को 10 हजार करोड़ रुपये दिला सकता है। इस एस्टेरॉयड पर यान भेजने में नासा की मदद स्पेसएक्स करेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी को स्पेसएक्स इस मिशन के लिए अपना फॉल्कन हैवी रॉकेट देगा। इस एस्टेरॉयड का नाम 16 साइकी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा साइकी एस्टेरॉयड एक्सप्लोरर मिशन एक अगस्त 2022 को लॉन्च करेगा।
इससे पहले स्पेसएक्स फॉल्कन हैवी रॉकेट को जून में लॉन्च करेगा। फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से जून में फॉल्कन हैवी रॉकेट को लॉन्च किया जाएगा जिसमें लॉन्च पैड 39ए से यूएस स्पेस फोर्स के यूएसएसएफ-44 मिशन की लॉन्चिंग होगी। नासा की तरफ से इस रॉकेट के जरिए दो पेलोड्स को जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में तैनात किया जाएगा। इसमें एक अमेरिकी सेना की टेट्रा-1 माइक्रोसैटेलाइट है जबकि दूसरे बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। स्पेसएक्स के फॉल्कन हैवी रॉकेट से लॉन्च किया जाने वाला साइकी स्पेसक्राफ्ट लगभग तैयार किया जा चुका है। पहले यह तय नहीं हो पाया था कि किस रॉकेट से इस स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग होगी। नासा के लॉन्च शेड्यूल में जानकारी डालने के बाद साफ हो गया है कि फॉल्कन हैवी रॉकेट से इस मिशन को लॉन्च किया जाएगा। धरती पर मौजूद हर शख्स को जो एस्टेरॉयड 10 हजार करोड़ रुपये का मालिक बना सकता है उसका निर्माण लोहे, निकल और सिलिका से हुआ है। एस्टेरॉयड में मौजूद धातुओं को अगर बेच दिया जाता है, तो हर शख्स अरबों का मालिक बन सकता है। इस एस्टेरॉयड पर जिस स्पेसक्राफ्ट को भेजा जाना है उसका नाम भी साइकी रखा गया है। अगस्त 2022 में लॉन्च होने वाला साइकी स्पेसक्राफ्ट मई 2023 में मंगल ग्रह के ग्रैविटी वाले क्षेत्र से बाहर आएगा जिसके बाद साल 2026 में 16 साइकी एस्टेरॉयड की कक्षा में पहुंच जाएगा। इसके बाद वह 21 महीने तक एस्टेरॉयड की परिक्रमा करेगा। नासा की तरफ से स्पेसक्राफ्ट के साइंस और इंजीनियंरिंग सिस्ट्म को तैयार कर लिया गया है। अमेरिकी सरकार ने भी इस मिशन के लिए हरी झंडी दे दी है। नासा ने बताया है कि 16 साइकी एस्टेरॉयड पर मौजूद लोहे की कुल कीमत करीब 10000 क्वॉड्रिलियन पाउंड (10,000,000,000,000,000,000 पाउंड) है। इसका मतलब कि धरती पर मौजूद हर शख्स 10 हजार करोड़ रुपये का मालिक बन जाएगा। यह एस्टेरॉयड 226 किमी चौड़ा है जिसका अध्ययन नासा का साइकी स्पेसक्राफ्ट करेगा। स्पेसक्राफ्ट के क्रिटिकल डिजाइन स्टेज को पूरा कर लिया गया है। इस स्पेसक्राफ्ट में सोलर-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम, तीन साइंस इंस्ट्रूमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और पावर सब सिस्टम होगा। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी इस स्पेसक्राफ्ट पर नजर रखेगी। लिंडी एलकिंस टैनटन ने बताया कि मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच घूम रहे एस्टेरॉयड बेल्ट में 16 साइकी एस्टेरॉयड मौजूद है जो सूरज का पांच साल में एक चक्कर लगाता है। लिंडी एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और साइकी मिशन की प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर हैं। पृथ्वी के चंद्रमा के वजन का करीब एक प्रतिशत ही इस एस्टेरॉयड का भार है। नासा ने कहा है कि धरती के पास इस एस्टेरॉयड को लाने का कोई प्लान नहीं है। इस पर मौजूद लोहे की जांच की योजना है।