छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री विष्णुदेव साय को सौंपकर पार्टी ने उनके संगठनात्मक क्षमता पर दांव खेला है। उन्हें तीसरी बार पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। विष्णु के सामने राज्य में चुनाव दर चुनाव मुरझाते गए भाजपा कमल को फिर खिलाने की चुनौती है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद विष्णुदेव मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री बनाए गए थे।
दरअसल मंत्री बनने के बाद उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ी। विष्णुदेव के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार मिली। पार्टी के सिर्फ 15 विधायक चुनाव जीत पाए। उपचुनाव में यह संख्या घटकर 14 हो गई। रमन सरकार के दो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर को छोड़ सभी दिग्गज चुनाव हार गए थे। बस्तर और सरगुजा में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। जशपुर में जहां तीनों सीट पर भाजपा विधायक थे, वहां कांग्रेस का कब्जा हो गया।
विधानसभा चुनाव के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी की कमान आदिवासी नेता विक्रम उसेंडी को सौंपी गई। लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के करिश्मे के कारण पार्टी के नौ सांसद जीतने में सफल हुए। लोकसभा चुनाव की जीत का असर छह महीने भी नहीं टिका। पार्टी को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। राज्य गठन के बाद पहली बार भाजपा एक भी नगर निगम में अपना महापौर बनाने में सफल नहीं हो पाई। कोरबा नगर निगम में संख्या बल में ज्यादा होने के बाद भी कांग्रेस का महापौर चुना गया। इसी तरह पंचायत चुनाव का परिणाम भी भाजपा के पक्ष में नहीं आया। इसके बाद से ही निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी को पद से हटाने की चर्चा शुरू हो गई थी।
छत्तीगसढ़ में सत्ता गंवाने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के विरोधी खेमे को पहले नेता प्रतिपक्ष के चयन में मात मिली, अब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी भी उनके पाले में नहीं आई। प्रदेश में विधानसभा चुनाव, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की हार के बाद रमन विरोधी खेमे में केंद्रीय संगठन के सामने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मजबूती से दावेदारी पेश की थी, लेकिन आखिरी समय में फैसला डॉ रमन के पक्ष में आया। रमन के करीबी विष्णुदेव को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। राज्य गठन के बाद से अब तक 12 साल आदिवासी नेताओं के हाथ में प्रदेश अध्यक्ष की कमान थी।
भाजपा के संगठन चुनाव के बाद 11 जिलों में जिला अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी। इसमें रायपुर जिला अध्यक्ष की भी नियुक्ति नहीं हो पाई है। राजीव अग्रवाल पिछले पांच साल से जिला अध्यक्ष की भूमिका में हैं। दुर्ग और भिलाई जिला संगठन के चुनाव में विवाद के बाद केंद्रीय संगठन ने रोक लगाई थी। बलौदाबाजार, रायपुर ग्रामीण में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति होना बाकी है।