रायसेन नगर के वार्ड क्रमांक एक नरापुरा में सुबह हिन्दू- मुस्लिम दो पड़ोसियों के बीच मामूली विवाद ने झगड़ा का रूप ले लिया। खूबचंद शाक्य उनकी पत्नी भगवती, बेटा रितिक व बेटी हेमलता पर आरोपित शगीर, नसीम, अरबाज और अमन ने लाठी व धारदार हथियारों से हमला कर दिया। जिससे फरियादी पक्ष के उक्त चारों लोग गंभीर घायल हो गए। सभी घायलों को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। इनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है।
फरियादी खूबचंद ने बताया कि हमारा व आरोपितों का मकान आसपास है। मकान के बगल में सकरी गली है। जहां से दोनों पड़ोसी परिवारों के लोग आवागमन करते हैं। इस गली में आरोपित पक्ष के लोग सामान, बाइक इत्यादि रखकर अक्सर आवागमन में अवरोध पैदा कर देते हैं। शुक्रवार की रात में भी जब उनसे सामान गली से हटाने को कहा तो उन्होंने हम पर हमला कर दिया। इधर आरोपित पक्ष का कहना है कि बिना किसी कारण के यह लोग विवाद करते रहते हैं।
शहर में अतिरिक्त पुलिस बल लगाने का कारण
थाना कोतवाली के टीआई जगदीश सिंह सिद्दू का कहना है कि हमने फरियादी पक्ष की रिपोर्ट पर आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। चूंकि यहां हिन्दू व मुस्लिम पक्षों के बीच का मामला है इसलिए कानून व्यवस्था व शांति स्थापित करने के लिए अतिरिक्त त्वरित कार्रवाई बल को भोपाल से बुलाया गया है। शहर के संवेदनशील क्षेत्र इंडियन चौराहा व जिला अस्पताल परिसर में यह फोर्स तैनात की गई है। शहर में पूरी तरह शांति का माहौल है।
पुलिस में घबराहट का यह है कारण
रायसेन में मात्र दो पड़ोसियों के बीच मामूली बात पर भोपाल से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाकर तैनात करने के पीछे यह कारण है कि पूर्व के वर्षों में हुए हिंदू- मुस्लिम वर्गों के बीच झगड़ों के कारण यह अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। रायसेन आजादी के बाद 1949 तक भोपाल नबाब हमीदुल्ला की रियासत के अधीन था। यहां पर मुस्लिम आबादी अधिक थी। बाद में हिन्दू आबादी की बसाहट बढ़ी। यहां 1970 से लेकर 1996 तक हिन्दू व मुस्लिम पक्षों के बीच चार बार बड़े झगड़े हुए हैं। उसके बाद छिटपुट झगड़े होते रहते हैं। हालांकि गंगा- जमुनी सौहार्द की परंपरा के तहत दोनों समुदायों के लोगों के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। पिछले चालीस वर्षों से यहां की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। जिसमें से सिर्फ सात वर्ष कांग्रेस के डॉ प्रभुराम चौधरी विधायक निर्वाचित हुए हैं।
चौधरी भी सिंधिया खेमा के साथ कमलनाथ सरकार को गिरकर भाजपा ने शामिल हुए हैं। जबकि करीब तीस वर्ष भाजपा के डॉ गौरीशंकर शेजवार विधायक रहे हैं। डॉ शेजवार ने राजनीति से सन्यास ले लिया है, उनके पुत्र मुदित शेजवार को पराजित करके ही डॉ चौधरी कांग्रेस की टिकट पर विजयी हुए थे। डॉ चौधरी व डॉ शेजवार दोनों ही भाजपा में होने के बावजूद अलग- अलग गुटों में कार्य करते हैं। दोनों कभी एक मंच पर नहीं आते। कहीं राजनीतिक स्पर्धा के कारण शहर में माहौल खराब करने का प्रयास नहीं हो सके इस आशंका के कारण भी पुलिस व प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरतने में चूक नहीं करता है।