
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत के चार कफ और कोल्ड सिरप पर अलर्ट घोषित कर दिया है। भारत की मेडिन फार्मासुटिकल्स लिमिटेड कंपनी की इन खांसी की सिरप को सेहत के लिए जानलेवा बताते हुए कहा कि इससे किडनी में भारी जख्म हो जाते हैं और पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के लिए भी इसी भारतीय कंपनी को जिम्मेदार ठहराया है। इन बच्चों की मौत से अफ्रीकी परिवार असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत के हरियाणा में बनी बच्चों की यह चारों दवाएं घातक केमिकलों से दूषित हैं और दोयम दर्जे की हैं। इन दवाओं की शिकायत सितंबर में की गई थी जिनके नाम प्रोमेथजाइन ओरल सल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकआफ बेबी कफ सिरप और मैगरिप एंड कोल्ड सिरप हैं। जांच में पता चला है कि इन दवाइयों में सीमा से अधिक डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल हैं। यह दोनों ही रसायन मानव शरीर के लिए घातक हैं और जानलेवा साबित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ इस भारतीय कंपनी के संबध में आगे भी जांच जारी रखेगा और भारत में नियामक संस्थाओं से भी संपर्क में है। हालांकि हरियाणा की इस फार्मा कंपनी ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रास घेबरेसस ने कहा कि भारतीय कंपनी मेडिन फार्मा की चार कफ सिरप को लेकर जांच जारी है। इस खराब उत्पाद के कारण खराब सेहत की शिकायत अब तक केवल गाम्बिया में ही मिली है। हालांकि यह दवा अन्य देशों में भी वितरित की गई होगी। इधर, गाम्बिया सरकार ने बताया कि पिछले हफ्ते पांच साल से भी कम उम्र के बच्चों में किडनी में गहरे जख्म होने के मामले सामने आने पर बच्चों की मौत की जांच की गई जिसमें इसका जिम्मेदार भारतीय कफ सिरप को माना गया है। किडनी की खराबी से बच्चों की मौत के मामले सबसे पहले जुलाई में सामने आए थे। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अन्य देशों और स्थानों पर भी ऐसे घातक तत्व वाली दवाइयां पाए जाने पर उनका कतई इस्तेमाल नहीं करें और तुरंत डब्ल्यूएचओ से संपर्क करें।