सेंधवा। पितरों की शांति और वंश वृद्धि के लिए सेंधवा के दावल बैड़ी क्षेत्र के बछड़ी में सोमवार को गौरी (गाय) का विवाह लालू (सांड) का अनोखा विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। इस शादी में बरात आई, मंत्र गूंजे, फेरे हुए। शहर के दावल बैड़ी क्षेत्र में हुए इस अनोखे विवाह की शहरभर में चर्चा है। मोरे परिवार द्वारा उक्त विवाह में सांड लालू दूल्हा बना। वहीं गौरी नामक गाय को दुल्हन की तरह सजाया गया। इनके विवाह की रस्म को पंडित मुकेश शर्मा द्वारा संपन्ना करवाया गया।
क्षेत्र के विनोद मोरे ने सोमवार को अपनी ही गाय की एक बछड़ी गौरी का विवाह लालू सांड के साथ संपन्ना करवाया। इसमें गाय और सांड को हल्दी और मेहंदी लगाई गई। गाय को चुनरी उड़ाई गई। इसके बाद पंडित ने मंत्रोच्चार के साथ गाय और सांड के फेरे कराए। विनोद मोरे और उनकी पत्नी अलका मोरे द्वारा गाय का कन्यादान किया गया। सैकड़ों लोग इस अनोखे विवाह के साक्षी बने।
विवाह के बाद दोनों को गांव में छोड़ा
विवाह में ढोल-ताशों पर लोगों ने उत्साह से नृत्य भी किया। मोरे परिवार ने आयोजन में कोई कसर नहीं छोड़ी। विवाह के आयोजन में सभी उत्साह के साथ शामिल हुए। पंडित मुकेश शर्मा ने बताया कि गाय और सांड का विवाह पितरों की शांति और वंश वृद्धि के लिए करवाया जाता है। विवाह के पश्चात गाय और सांड दोनों को नगर में छोड़ दिया गया।
400 लोगों को कराया भोज: बताया गया कि विवाह में 70 हजार कुल खर्च किया गया। भोजन में आलू-पनीर की सब्जी, पुरी, दाल-चांवल, पापड़ परोसे गए। भोजन में गांव के 400 लोगों को शामिल किया गया था।
दतिया: गांव में कराया कुतों को शाही भोज
दतिया जिले के ग्राम केवलारी में एक अनोखा आयोजन किया गया। यहां लोग कुत्तों को भोज कराने के लिए पहुंचे। आमंत्रण के साथ भोजन करने पहुंचे कुत्तों को आयोजक ने पत्तल लगवाकर उस पर शुद्ध घी की पूड़ी, खीर और बूंदी परोसी। कुत्ते के भोज के आयोजन की कहानी बिल्कुल अनोखी है। दरअसल केवलारी में भागवत कथा का आयोजन किया गया था। भागवत कथा के समापन पर गांव में भंडारा आयोजित किया गया था। जिसमें रामजी अहिरवार ने कुत्तों को जूठी पत्तलें चाटते हुआ देखा, जिन्हे लोग दुत्कारते हुए भगा रहे थे। जो उन्हें अच्छा नहीं लगा। दो-तीन दिन पहले रामजी ने फिर अपने सपने में कुत्तों को पत्तल-चाटते और दुत्कारते हुए देखा। तो उन्होंने कुत्तों को भोज देने की ठान ली। रामजी ने इस संबंध में अन्य ग्रामीणों को बताया तो उन्होंने भी आयोजन करने पर सहमति देते हुए प्रसन्नता प्रकट की। इसके बाद बुधवार को सुबह रामजी ने गांव में जिन लोगों के यहां कुत्ते पले हैं, उनके घर जाकर न्योता दिया। शाम के वक़्त दलित बस्ती से लोग अपने-अपने कुत्तों को भोजन कराने के लिए रामजी के घर पहुंचे। रामजी ने वहां खुद व अन्य ग्रामीणों के सहयोग से पत्तल डाल कर कुत्तों को स्वादिष्ट भोजन कराया। इस दौरान लगभग डेढ़ सौ कुत्तों ने जमकर पंगत लूटी। बस्ती में कुत्तों को भोजन कराने के अलावा रामजी ने आसपास के खेतों, खलिहानों व सड़क पर घूमने वाले कुत्तों को खाना दिया गया।