प्राकृतिक, धार्मिक, पुरातात्विक और ऐतिहासिक पहलुओं को समेटे हमारे छतीसगढ़ राज्य की खूबसूरती भारत के अन्य राज्यों से अलग ही दिखाई देती है। सांकृतिक धरोहर से भरपूर और चारों ओर वनांचल से घिरे छतीसगढ़ का पर्यटन स्थल वर्तमान समय में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। 1 नवंबर सन 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद राज्य शासन द्वारा पर्यटन स्थलों को सहेजने का कार्य लगातार जारी है। इसी कड़ी में इस पोस्ट में हम आज छतीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जानेंगे-
1. मैनपाट, अम्बिकापुर (सरगुजा)
“छत्तीसगढ़ का शिमला” कहा जाने वाला मैनपाट राज्य का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। सर्दियों में यहां गिरने वाली ओस बेहद कम तापमान के कारण जम जाती है जिससे यह इलाका बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है।
ऐसा लगता है मानो बादल आसमान से धरती पर उतर रहे हो।
• राजधानी रायपुर से इस स्थल की दूरी लगभग 365 किलोमीटर है।
• विंध्य पर्वत माला पर बसी राज्य के इस एकमात्र हिल स्टेशन की समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 स्वीट है इसकी लंबाई 28 किलोमीटर और चौड़ाई 10 से 13 किलोमीटर है।
• मेहता पॉइंट मछली प्वाइंट टाइगर पॉइंट जैसे प्रमुख जलप्रपात इस क्षेत्र की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं।
• जलजले नदी के किनारे जंप इंग्लैंड नाम का एक स्थान है यहां ऐसा लगता है मानो उस क्षेत्र में रबर की चादर बिछी हो यहां कूदते ही धरती धरती है और गेंद की तरह वापस आती है शोधकर्ताओं के लिए यह क्षेत्र अचंभित करने वाला स्थल बना हुआ है।
2. कुनकुरी- जशपुर
बैठक क्षमता के हिसाब से एशिया का दूसरा और भारत का सबसे बड़ा चर्च जशपुर जिले के कुनकुरी में है, इसे रोजरी की महारानी के गिरजाघर के नाम से भी जाना जाता है । 17 सालों में बनकर तैयार होने वाले इस चर्च में एक साथ 10,000 लोग बैठ कर प्रार्थना कर सकते हैं।
• रायपुर से इस चर्च की दूरी लगभग 430 किलोमीटर है।
• इस चर्च की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इस चर्च का समूचा ढांचा एक ही बीम पर टिका हुआ है।
• लगभग 3500 वर्ग फीट में निर्मित इस चर्च में प्रार्थना के दौरान लोग कुर्सियों में नहीं बैठते बल्कि दरी पर बैठकर प्रार्थना करते हैं।
3. खुटाघाट बांध,बिलासपुर
बिलासपुर अंबिकापुर मार्ग पर रतनपुर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर खारंग नदी पर खुटाघाट बांध निर्मित है,इस बांध का निर्माण 1920-30 में किया गया था इस बांध के बीचो बीच स्थित छोटा सा टापू यहां का मुख्य आकर्षण है यह टापू प्रवासी पक्षियों व धूप सेकने के शौकीन मगरमच्छों का बसेरा है।
वर्तमान में नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस बांध के निचले हिस्से में खूबसूरत उद्यान है, पहाड़ों और घने वनों से घिरा यह बांध पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थल है।
इसी बांध के निकट यूरोपीय शैली में विकसित एक विश्रामगृह है जिसका प्रबंधन सिंचाई विभाग द्वारा किया जाता है। यहां पर ठहर कर बांध के मनोरम दृश्यों का आनंद उठाया जा सकता है साथ ही यहां पर्यटन मंडल द्वारा कॉटेज की व्यवस्था भी की गई है।
4. नेचर सफारी, सोनबरसा (बलोदा बाजार)
बलौदा बाजार जिले में सोनबरसा नामक स्थल पर फॉरेस्ट रिजर्व क्षेत्र को 2018 में नेचर सफारी के रूप में विकसित किया गया है, यह जंगल चारों तरफ से मजबूत जालियों से घिरा हुआ है, साथ ही इन्हें दीवारों से भी घेर दिया गया है।
• यह नेचर सफारी राजधानी रायपुर से लगभग 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहां सुबह से शाम के बीच कभी भी घूम कर आया जा सकता है।
• इस जंगल में खरगोश हिरण जंगली सूअर भेड़िया जैसे कई दुर्लभ प्रजाति की बिल्लियां आदि जीव जंतु देखे जा सकते हैं ।
• इसके अलावा यहां डियर पार्क का भी निर्माण करवाया जा रहा है ।
• पर्यटक वन विभाग की जिप्सी द्वारा या साइकल द्वारा भ्रमण का लुत्फ उठा सकते हैं, पास में ही पर्यटकों की सुविधा के लिए कैफे और विश्रामगृह की भी व्यवस्था की गई है।
5. चिल्फी घाटी कवर्धा
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर चिल्फी घाटी स्थित है जिसे छत्तीसगढ़ का हिल स्टेशन माना गया है।मैनपाट के बाद यह दूसरा स्थान है जहां तापमान शून्य से भी नीचे दर्ज किया जाता है।
• यह क्षेत्र रायपुर से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
• इस क्षेत्र को मैकल की रानी कहा जाता है ।सघन साल वन, वन्य प्राणी तथा चिरैया के फूल और करीब से उड़ते हुए बादल यहां अद्भुत नजारा पेश करते हैं
• पर्यटन की सुविधा के लिए इस स्थान को अभी विकसित किया जा रहा है, उगते और ढलते सूरज का नजारा देखने आस पास के लोग यहाँ आया करते हैं।
– पूनम ऋतु सेन