अमेरिका के साथ हुए समझौते की स्वीकृति का प्रस्ताव संसद में पेश होने के बाद नेपाल में हुए भारी विरोध प्रदर्शनों में दर्जनों लोग घायल हो गए हैैं। इस समझौते के तहत नेपाल को अमेरिका से 50 करोड़ डालर (करीब 3,700 करोड़ भारतीय रुपये) मिलने हैैं। इस धनराशि से उसे गरीबी उन्मूलन वाले और अन्य विकास कार्य कराने हैैं। चीन ने इस अनुदान का विरोध किया है। इसे नेपाल की संप्रभुता पर हमला बताया है।
रविवार को संसद के नजदीक हुए हिंसक प्रदर्शन में नेपाल पुलिस के 17 जवान और सशस्त्र बल के सात जवान घायल हुए हैैं। इस दौरान दर्जनों प्रदर्शनकारी भी घायल हुए हैैं। चार दर्जन से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी जुलूस के रूप में संसद पहुंचे थे और उन्होंने वहां पर नारेबाजी करते हुए पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद सुरक्षा बलों ने हालात काबू करने के लिए 30 राउंड रबर बुलेट चलाईं और आंसू गैस के 115 गोले छोड़े। सुरक्षा बलों को हालात काबू करने में आठ घंटे लगे। कुछ अन्य स्थानों पर भी विरोध प्रदर्शन होने की सूचना है। पता चला है कि प्रदर्शनकारी इस गलत जानकारी से भड़के थे कि नेपाल सरकार ने अमेरिका के साथ सैन्य समझौता कर लिया है।
शेर बहादुर देउबा सरकार ने अमेरिका के साथ हुए समझौते को संसद की स्वीकृति लेने के लिए पेश किया था। लेकिन देश में चीन समर्थकों के दुष्प्रचार के चलते लोग भड़ककर सड़कों पर आ गए और सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए हिंसा पर उतारू हो गए। संसद में सरकार की ओर से सूचना मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने प्रस्ताव पेश्ा किया है। प्रस्ताव के अनुसार अमेरिका से प्राप्त धनराशि से देश में बिजलीघर बनाया जाना है और सड़कों का विकास किया जाना है।