पुलवामा हमले में शहीद हुए वीर सपूतों को नमन

जम्मू। साल 2019 के फरवरी महीने की 14 तारीख ने देश को झकझोर कर रख दिया था। इस दिन हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हमलावर ने विस्फोटक भरी कार से सीआरपीएफ काफिले की बस को टक्कर मार दी थी। धमाका इतना भयंकर था कि बस के परखच्चे उड़ गए थे। इसके बाद घात लगाए आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग भी की थी। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
पंकज कुमार त्रिपाठी
53 बटालियन, हरपुर, बेल्हाया, लेजर महादेव, महाराजगंज, उत्तर प्रदेश
सीआरपीएफ के 53वीं बटालियन के कांस्टेबल पंकज कुमार त्रिपाठी भी जम्मू कश्मीर में हुए आत्मघाती हमले में शहीद हो गए थे। पंकज उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के हरपुर गांव के रहने वाले थे। हमले वाले दिन सुबह 10 बजे उन्होंने अपनी पत्नी से फोन पर बात की थी। जब शाम को इस हमले की खबर आई तो उन्होंने दोबारा कॉल करने की कोशिश की लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
तिलकराज
76 बटालियन- धीवा, धरकला, जवाली, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश, पुलवामा आतंकी हमले में कांगड़ा के ज्वाली के नाणा पंचायत के धेवा गांव के तिलक राज शहीद हो गए थे। वह सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन में तैनात थे।
अजीत कुमार आजाद
115 बटालियन, हाउस नंबर 133, 21, लोक नगर उन्नाव, सदर, उत्तर प्रदेश। अजीत कुमार आजाद उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रहने वाले थे। इस वीर सपूत ने देश के लिए अपना जीवन दे दिया। उन्होंने साल 2007 में अपनी पहली पोस्टिंग पाई थी।
प्रदीप सिंह
115 बटालियन, अजान, सुखचैनपुर, तेरवा, कन्नौज, उत्तर प्रदेश। जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ की बस पर हुए आत्मघाती हमले में शहीद प्रदीप सिंह यूपी के कन्नौज जिले के अजान गांव के रहने वाले थे। प्रदीप सिंह ने साल 2003 में सीआरपीएफ का हिस्सा बने थे।
श्याम बाबू
115 बटालियन, राइगवान, नोनारी, डेरापुर, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश। श्याम बाबू उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में स्थित राइगवान, नोनारी के रहने वाले थे। 6 साल पहले वैवाहिक बंधन में बंधे श्याम बाबू को पहली पोस्टिंग साल 2005 में मिली थी।
रमेश यादव
61 बटालियन, तोफापुर, बरेन, सद्दर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश। रमेश यादव सीआरपीएफ के 61वीं बटालियन में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। पुलवामा आतंकी हमले में वह शहीद हो गए थे।
अवधेश कुमार यादव
45 बटालियन, बहादुरपुर, जलीलपुर, मुगलसराय, चंदौली। शहीद अवधेश कुमार यादव सीआरपीएफ के 45वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। वह जम्मू-कश्मीर में हुए आत्मघाती हमले में शहीद हो गए।
राम वकील
176 बटालियन, विनायकपुर, लखनमऊ, मैनपुरी, उत्तर प्रदेश। शहीद रामवकील सीआरपीएफ के 176वी बटालियन में हेड कांस्टेबल के रूप में कार्यरत थे। आतंकी हमले से कुछ ही दिन पहले उनकी पत्नी से बात हुई थी। राम वकील के पिता शरमनलाल की मौत 5 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी।
वीरेंद्र सिंह
45 बटालियन। मोहम्मदपुर भूरिया, प्रतापपुर नंबर-4, खटिउमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड। पुलवामा हमले में शहीद वीरेन्द्र सिंह सीआरपीएफ के 45 बटालियन में तैनात थे। वह उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले के मोहम्मदपुर भूरिया गांव के रहने वाले थे।
अमित कुमार
92 बटालियन। रायपुर, शामली, आदर्शमंडी, शामली, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के शामली जिले के रायपुर के रहने वाले अमित ने साल 2017 में सीआरपीफ को ज्वाइन किया था। वह अपने परिवार के पहले ऐसे व्यक्ति थे जो भारतीय सेना का हिस्सा बने थे।
प्रदीप कुमार
21 बटालियन, बनथ, शामली, उत्तर प्रदेश। सीआरपीएफ के 21वीं बटालियन में कांस्टेबल प्रदीप कुमार इस हमले में शहीद हुए। प्रदीप कुमार ने साल 2003 में सीआरपीएफ को ज्वाइन किया था।
अश्वनी कुमार काओची
35 बटालियन, कुदावल, दर्शनी, सिहोरा, जबलपुर, मध्य प्रदेश। सीआरपीएफ के 35 बटालियन में कार्यरत शहीद अश्वनी कुमार काओची मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले थे। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे अश्वनी साल 2017 में सीआरपीएफ को ज्वाइन किया था।
कौशल कुमार रावत
115 बटालियन, केहराई, आगरा, ताजगंज, प्रताप पुरा, उत्तर प्रदेश। शहीद कौशल कुमार रावत उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के केहराई गांव के रहने वाले थे। परिवार ने बताया कि उनसे हमले के एक दिन पहले फोन पर बात हुई थी जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी पोस्टिंग किसी दूसरे जगह हो गई है। जिसे उन्हें कल ज्वाइन करना है। इससे पहले कौशल कुमार सिलीगुड़ी में पोस्टेड थे।
महेश कुमार
118 बटालियन। तुदीहर बादल का पुरवा, नेवडिय़ां, मेजा, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश। महेश कुमार इस आतंकी हमले से कुछ ही दिन पहले एक सप्ताह की छुट्टी पर घर गए थे। जिसके बाद वापस आकर दोबारा ड्यूटी ज्वाइन की। लेकिन घरवालों को क्या पता था कि बेटा अब तिरंगे में लिपटकर ही आएगा। वह इस आतंकी हमले में शहीद हो गए। महेश और संजू की शादी साल 2011 में हुई थी। उनके दो बच्चे हैं पहला बेटा सात साल का समर है और दूसरी छह साल की समीर।
विजय कुमार मौर्या
92 बटालियन, छपिया जयदेव, भटनी, भटनी, देवरिया, उत्तर प्रदेश। शहीद विजय कुमार मौर्य सीआरपीएफ के 92वीं बटालियन में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। विजय यूपी के देवरिया जिले के छपिया जयदेव गांव के रहने वाले थे। विजय कुमार ने साल 2008 में सीआरपीएफ को ज्वाइन किया था।
जयमाल सिंह
76 बटालियन, धर्मकोटा, मोगा, पंजाब। शहीद जयमाल सिंह सीआरपीएफ के 76वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पोस्ट पर कार्यरत थे। उनकी हमले के दिन सुबह में ही पत्नी से फोन पर बात हुई थी। वह हमले की चपेट में आई बस के ड्राइवर थे।
मनिंदर सिंह अत्री
75 बटालियन, आर्य नगर, दीनानगर, गुरदासपुर, पंजाब। पंजाब के गुरदासपुर जिले के दीनानगर के रहने वाले मनिंदर सिंह अत्री भी उस हमले में मात्र 27 साल की उम्र में शहीद हो गए। उनके छोटे भाई भी अर्धसैनिक बल में पोस्टेड हैं। पिता सतपाल अत्री रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं। शहीद के एक मित्र ने बताया कि मनिंदर खेल में  बहुत रूचि रखते थे।
नितिन शिवाजी राठौड़
03 बटालियन। चोरपंगड़ा, बीबी, लोनर, बुलढ़ाना, महाराष्ट्र। शहीद नितिन शिवाजी राठौर महाराष्ट्र के रहने वाले थे। वह सीआरपीएफ के 3 बटालियन में कांस्टेबल पद पर कार्यरत थे। नितिन ने हमले के कुछ देर पहले ही अपनी पत्नी से बात की थी। किसी को यह नहीं पता था कि यह उनकी आखिरी बातचीत होगी। नितिन के जीवन और जीविषा नाम के दो बच्चों हैं।
हेमराज मीणा
61 बटालियन, विनोद कलां, विनोद खुर्द, कोटा, राजस्थान। हेमराज मीणा राजस्थान के कोटा स्थित बिनोद कलां के रहने वाले थे। शहीद हेमराज अपने पीछे दो बेटे और दो बेटियों को छोड़कर गए हैं।
नसीर अहमद
76 बटालियन, डोडासनबाला, राजौरी, जम्मू और कश्मीर। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के रहने वाले नसीर अहमद पुलवामा में हुए हमले में शहीद हो गए थे। वह 2014 में पुलावामा में आई भीषण बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्य में शरीक हुए थे और ठीक 5 साल बाद उसी जगह पर शहीद भी हो गए।
सुखजिंदर सिंह
76 बटालियन, गंगीविंड, पट्टी, तरनतारन, पंजाब। सुखजिंदर सिंह को इस आतंकी हमले से सात महीने पहले ही प्रमोशन मिला था। तरक्की मिलने के बाद घर में बेटे गुरजोत सिंह ने जन्म लिया था। पति को खोने वाली सरबजीत कौर ने पति के शहादत पर गर्व जताया। गांव में गदरी बाबा संता सिंह की यादगार बताती है कि यह गांव शहीदों का है। गांव की आबादी करीब 1300 है। इसमें से 40 युवा सेना और सीआरपीएफ में तैनात हैं। करीब 150 पूर्व सैनिक हैं।
विजय सोरेंग
82 बटालियन, फरसामा, बनागुटू, बसिया, गुमला, झारखंड। शहीद विजय सोरेंग झारखंड के गुमला जिले के फरसामा के रहने वाले थे। विजय एक सप्ताह पहले ही घर आए हुए थे। उनके पिता भी सेना में है जबकि उनकी पत्नी भी झारखंड आम्र्ड पुलिस में हैं।
मनोज कुमार बेहरा
82 बटालियन, रतनपुर, मधबा, कटक, ओडिसा। इस आतंकी हमले से पहले दिसंबर में मनोज अपने घर गए थे। जहां उन्होंने अपनी बेटी का बर्थडे सेलिब्रेट किया था। इसके बाद वह 7 फरवरी को दोबारा ड्यूटी पर लौट गए थे। जम्मू कश्मीर में यह उनकी दूसरी पोस्टिंग थी। सीआरपीएफ के 82 बटालियन में पोस्टेड मनोज कुमार बेहरा अपने पीछे पत्नी और बेटी को छोड़कर गए। हमले के कुछ घंटे पहले ही उन्होंने पत्नी से बात की थी।
संता कुमार वीवी
82 बटालियन, कुन्नाथीडावाका लक्कीडी, वायथिरी, वायनाड, केरल। संता कुमार वीवी सीआरपीएफ के 82वीं बटालियन में कार्यरत थे। वह केरल के वायनाड स्थित कुन्नाथीडावाका लक्कीडी के रहने वाले थे। जिस दिन आतंकी हमला उससे उसी दिन बस में बैठने से पहले वसंता ने अपनी मां को फोन कर कहा था कि वह नई बटालियन को ज्वाइन करने के लिए जाने वाले हैं। उन्होंने मां से यह वादा किया था कि श्रीनगर पहुंचकर दोबारा फोन करेंगे।
सुब्रमण्यम जी
82 बटालियन, सबलपेरी, विल्लीसेरी, कोविलपट्टी। शहीद कांस्टेबल सुब्रमण्यम जी सीआरपीएफ के 82 बटालियन में कार्यरत थे। वह तमिलनाडु के तूतीकोरिन के रहने वाले थे। उन्होंने हमले के दिन दोपहर में कॉल कर घर अपनी पत्नी से बात की थी।
सुदीप बिस्वास
शहीद सुदीप बिस्वास अपने परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे। उनके पिता सन्यासी बिस्वास फार्म में कर्मचारी हैं। सुदीप ने साल 2014 में सीआरपीएफ ज्वाइन को था।
मनेश्वर सुमातारी
98 बटालियन। कलबाड़ी, तमुलपुर, बक्सा, असम। आतंकी हमले से पहले मनेश्वर एक महीने की छुट्टी बीताकर 4 फरवरी को दोबारा ड्यूटी पर लौटे थे। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि वह घर के नजदीक पोस्टिंग की कोशिश करेंगे। वह बोडो समुदाय के थे। मनेश्वर सीआरपीएफ के 98 बटालियन में पोस्टेड थे।
सी शिवचंद्रन
हमले से ठीक दो घंटे पहले ही शहीद सी शिवचंद्रन ने अपनी गर्भवती पत्नी से बात की थी। लेकिन, किसे पता था कि यह उनके बीच की आखिरी बातचीत होगी। शिवचंंद्रन ने साल 2010 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया था।
कुलविंदर सिंह
92 बटालियन, रौली, आनंदपुर साहिब, पंजाब
शहीद कुलविंदर ने हमले के दिन सुबह ही घर बात की थी और घर के मरम्मत को लेकर बातचीत की थी।
जीत राम
92 बटालियन। सुंदरवली, भरतपुर, राजस्थान। पुलवामा हमले में शहीद जीतराम राजस्थान के भरतपुर जिले के सुंदरवली के रहने वाले थे। वह सीआरपीएफ के 92वीं बटालियन में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे।
गुरू एच
82 बटालियन। गुडीगिरी, बिधरहल्ली, के एम डोड्डी, मंड्या, कर्नाटक। शहीद गुरू एच सीआरपीएफ के 82 बटालियन में कार्यरत थे। कुछ समय घर पर रहने के बाद उन्होंने 10 फरवरी को ड्यूटी दोबारा ज्वाइन की थी। उन्होंने श्रीनगर जाते हुए अपने घर पर बात की थी।
बबलू संतारा
35 बटालियन। पश्चिम बौरिया, चकाशी, हावड़ा, पश्चिम बंगाल। सीआरपीएफ में हेडकांस्टेबल के पद पर कार्यरत बबलू संतारा भी पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में शहीद हो गए थे। उन्होंने अगले महीने 3 मार्च को घर जाने का प्लान भी बनाया था लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। वह इसके लिए टिकट की बुकिंग भी कर चुके थे। वह अपने नवनिर्मित घर की पेंटिंग के लिए गांव आने वाले थे।
पीके साहू
61 बटालियन
शिखर, नौगान, जगतसिंह पुर, ओडिसा। शहीद प्रसन्ना कुमार साहू सीआरपीएफ के 61 बटालियन में कार्यरत थे। वह ओडिसा के जगतसिंह पुर के शिखर गांव के रहने वाले थे।
भागीरथ सिंह
45 बटालियन। जैतपुर, देहोली, राजाखेड़ा, धौलपुर, राजस्थान। शहीद भागीरथ सिंह सीआरपीएफ के 45वीं बटालियन में कांस्टेबल के पोस्ट पर कार्यरत थे। उन्होंने 6 साल पहले सीआरपीएफ को ज्वाइन किया था।
संजय कुमार सिन्हा
176 बटालियन
तरगना मठ, मशुरही, कशीदी, पटना, बिहार। शहीद संजय कुमार सिन्हा सीआरपीएफ के 176 बटालियन में पोस्टेड थे। वह बिहार के पटना जिले के रहने वाले थे। इस आतंकी हमले से पहले वह महीने भर की छुट्टी बिताकर 8 फरवरी को वापस ड्यूटी पर लौटे थे। उन्होंने जाते समय कहा था कि वह जल्द ही 15  दिन की छुट्टी पर वापस घर आएंगे लेकिन ऐसा हो न सका।
नारायण लाल गुर्जर
118 बटालियन। बिनोल, राजसमंद, राजस्थान । सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल नारायण लाल गुर्जर राजस्थान के राजसमंद जिले के बिनोल के रहने वाले थे।
संजय राजपूत
115 बटालियन। लखानी प्लॉट, 21, बुलढ़ाना रोड, मल्कापुर,  बुलढ़ाना महाराष्ट्र। सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल शहीद संजय राजपूत 115 वीं बटालियन में तैनात थे। संजय ने साल 1996 में सीआरपीएफ ज्वाइन की थी। हमले के दिन दोपहर में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार से फोन पर बात की थी।
मोहन लाल
110 बटालियन। बनकोट, दिहली, उत्तरकाशी, उत्तराखंड। शहीद मोहन लाल सीआरपीएफ के 110 बटालियन में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे। वह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बनकोट के रहने वाले थे। आतंकी हमले से साल भर पहले ही मोहन लाल ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए फैमिली को देहरादून शिफ्ट किया था। उन्होंने साल 1988 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया था।
रतन कुमार ठाकुर
45 बटालियन
रतनपुर, मदरगंज, अंदानदा, भागलपुर, बिहार। सीआरपीएफ के 45 बटालियन में तैनात रतन कुमार ठाकुर ने हमले के कुछ ही देर पहले अपनी पत्नी से बात की थी। उन्होंने बातचीत में कहा था कि वह शाम तक श्रीनगर पहुंच जाएंगे। शहीद रतन ने साल 2011 में सीआरपीएफ ज्वाइन की थी।
रोहितास लांबा
76 बटालियन। गोविंदपुरा वाया खजरौली, शाहपुरा, जयपुर, राजस्थान। शहीद रोहितास लांबा सीआरपीएफ के 76वीं बटालियन में कांस्टेबल के पोस्ट पर कार्यरत थे। वह राजस्थान के जयपुर जिले के गोविंदपुरा के रहने वाले थे। शहीद रोहितास पिछले साल 10 दिसंबर को पिता बने थे। लेकिन वह उस समय घर नहीं आ सके थे। वह जनवरी में अपने बेटे को देखने के लिए घर पहुंचे थे।

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