सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों के दाखिले में 10 प्रतिशत आरक्षण तो दे दिया, लेकिन एससी-एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की तरह आरक्षण के साथ उन्हें आयु सीमा और फीस में छूट देने से इन्कार कर दिया। सरकार ने ऐसी मांगों को खारिज करते हुए कहा कि आयु सीमा में ढील और प्रयासों की संख्या में छूट उन मामलों में एक विशेष व्यवस्था के तहत दी जाती है, जब मांग के मुताबिक पात्र व्यक्ति इस व्यवस्था के तहत उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने संसद को बताया कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछडे वर्ग में अभी पात्र व्यक्तियों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में ईडब्ल्यूएस को इस तरह की कोई छूट प्रदान नहीं की जा सकती है। मंत्रालय ने संसद को यह जानकारी तब दी, जब इससे पहले वह इसे लेकर कार्मिक मंत्रालय को एक सिफारिशी पत्र लिख चुका था। पत्र में कहा गया था कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों को भी आरक्षण प्राप्त दूसरे वर्गों की तरह आयु सीमा और फीस आदि में छूट प्रदान की जाए। साथ ही संसद में ही कई सदस्यों की ओर से भी इसकी मांग की गई थी।
गौर हो कि सरकार ने फरवरी 2019 में संविधान संशोधन के जरिये सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसद आरक्षण देने का फैसला किया था। तभी से यह छूट देने की मांग भी की जा रही है। मौजूदा समय में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के आधार पर जिन्हें उम्र की छूट है, उनमें एससी-एसटी को पांच साल और ओबीसी को तीन साल की छूट है। इसी तरह आरक्षण प्राप्त करने वाले इन दोनों ही वर्गों को शैक्षणिक संस्थानों की फीस और नौकरियों को लेकर किए जाने वाले आवेदन की फीस में भी छूट प्राप्त है।