उत्तरकाशी-उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल से निकाले गए सभी 41 मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं। इन्हें चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों और मेडिकल एक्सपर्ट्स की देखरेख में रखा गया। यहां रात भर इन्होंने आराम किया। मजदूरों को देर रात और सुबह नार्मल डाइट दी गई। उनकी मेंटल हेल्थ की काउंसलिंग की जा रही है। उत्तरकाशी के CMO आरसीएस पवार ने बुधवार को सुबह बताया कि सारे मजदूर स्वस्थ हैं। उनको एम्स ऋषिकेश शिफ्ट किया जाएगा। PM मोदी ने नवयुवा इंजीनियर कंपनी लिमिटेड के शबा अहमद से पहले बातचीत की। PM ने कहा कि 17 दिन कम नहीं होते। आप लोगों ने बड़ी हिम्मत दिखाई। एक दूसरे का हौसला और धैर्य बनाए रखा। मैं लगातार जानकारी लेता रहता था। CM पुष्कर सिंह धामी के संपर्क में था। शबा ने कहा सर, हमें कभी एहसास नहीं हुआ कि हम कमजोर पड़ रहे हैं। कभी घबराहट नहीं हुई। सभी मजदूर अलग अलग राज्यों से थे, लेकिन हम भाई जैसे रहते थे। खाना आता था तो सभी मिलजुल कर खाते थे।
ये न होते तो शायद मजदूर भी न बचते
- 12 नवंबर को सुरंग में फंसते ही सुपरवाइजर गबर सिंह नेगी को पानी भरता दिखा। उन्होंने पंप चला दिया। पंप ने पानी खींचा और 4 इंची पाइप के जरिए बाहर फेंकना शुरू किया। पाइप का एक छोर मलबे के दूसरी ओर था, इसलिए रेस्क्यू टीम को पंप की आवाज आ गई। उन्हें एहसास हो गया कि मजदूर जिंदा हैं। फिर इसी पाइप से मजदूरों से बातचीत हुई। उन्हें चने-बिस्किट भेजे गए।
- 20 नवंबर को मजदूरों ने खाना मांगा। तब एक 6 इंच का पाइप मलबे में डाला गया। वो आसानी से मजदूरों तक पहुंच गया। इसी के जरिए सॉलिड फूड, जूस आदि भेजे गए। तब जाकर 9 दिन बाद मजदूरों ने खाना खाया।
- 21 नवंबर को 800 एमएम चौड़े पाइप अंदर भेजे गए, क्योंकि 900 एमएम के पाइप आगे नहीं बढ़ रहे थे। यही पाइप तीसरी लाइफ लाइन बने, क्योंकि इनमें रैट माइनर्स आसानी से टनल खोद सके।