पूर्वोत्तर रेलवे में बड़ा बदलाव कर रहा है। यह बदलाव सिग्नल सिस्टम में किया जा रहा है। इसके तहत एबसेल्यूट सिग्नल सिस्टम को ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम से बदला जाएगा। इससे ट्रेनें एक के पीछे एक चलती रहेंगी। बिना मतलब ट्रेनें यार्ड में खड़ी भी नहीं होंगी। इस सिस्टम से पटरियों पर रफ्तार के साथ ट्रेनों की क्षमता भी बढ़ जाएगी। इससे खड़ी ट्रेनों को आगे वाली ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही पीछे वाली ट्रेन को ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। यानी, एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेनें चलती रहेंगी।
रेलवे बोर्ड से गोरखपुर के रास्ते लखनऊ से छपरा तक ऑटोमेटिक ब्लॉक सिस्टम लागू करने की मंजूरी के बाद एनई रेलवे ने तैयारी शुरू कर दी है। पहले फेज में बाराबंकी, गोंडा, बस्ती के रास्ते लखनऊ से गोरखपुर के बीच 272 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पर ऑटोमेटिक सिस्टम लगाया जाएगा। दूसरे चरण में गोरखपुर-भटनी-छपरा रूट पर भी आटोमेटिक सिस्टम अपग्रेड किया जाएगा। लखनऊ-गोरखपुर रूट पर नए सिस्टम को लागू करने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के डबल डिस्टेंस सिग्नल से आगे प्रत्येक एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए जाएंगे। सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। जो ट्रेन जहां रहेंगी, वहीं रुक जाएंगी।
नहीं लेट होगीं ट्रेनें : इस सिस्टम के लागू होने से ट्रेनें सिग्नल की वजह से यार्ड या स्टेशन पर खड़ी नहीं होंगी। अनावश्यक लेट नहीं होंगी। अभी तक जो सिस्टम है उसमें एक स्टेशन से ट्रेन छूटने के बाद दूसरे स्टेशन पहुंचने के बाद खड़ी ट्रेन को छोड़ा जाता है। ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम से ट्रेनों का संचलन और सुगमता से हो सकेगा। इससे ट्रेनें यार्ड में बेवजह नहीं खड़ी रहेंगी।