रायपुर, पूनम ऋतु सेन। भारतीय वायुसेना का गठन 8 अक्टूबर, 1932 को हुआ था। 8 अक्टूबर 1932 को स्थापना होने के कारण ही हर साल इसी दिन वायुसेना दिवस मनाया जाता है। इंडियन एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट ने अपनी पहली उड़ान 1 अप्रैल, 1933 को भरी थी। भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश साम्राज्य की वायुसेना की एक इकाई के तौर पर हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसके नाम में रॉयल शब्द जोड़ा गया था। लेकिन स्वतंत्रता मिलने के तीन साल बाद 1950 में इसे हटा दिया गया था, तब से इसे भारतीय वायुसेना के नाम से ही जाना जाता है।
चलिये आज Indian AIRFORCE Day के दिन जानते हैं वायुसेना के कुछ सफल ऑपरेशन के बारे में जिसने भारतीय तिरंगे को गर्व के साथ आकाश में लहराया। इनमें ऑपरेशन विजय – गोवा का अधिग्रहण, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस ,ऑपरेशन पुमलाई, सफेद सागर , गंगा प्रहार, ऑपरेशन बंदर आदि प्रमुख हैं जिनमे भारतीय वायुसेना की सक्रीय भूमिका रही है।
1. ऑपरेशन सफेद सागर
युद्ध में भारतीय सैनिकों के गौरव और शौर्य की अनेकों कहानियां हैं जो आपको चौंका कर रख देंगी। ऐसी ही एक कहानी है, भारतीय वायु सेना की। इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान पर हवाई हमले करने के लिए ऑपरेशन ‘सफेद सागर’ चलाया था, जो करगिल युद्ध का एक प्रमुख हिस्सा था। इस ऑपरेशन के लिए पायलटों और इंजीनियरों को केवल एक सप्ताह की ट्रेनिंग मिली थी। लेकिन इतने में ही वायुसेना के जांबाजों ने करगिल की पहाड़ियों को पाकिस्तान के सैनिकों, मुजाहिदीनों से मुक्त करा लिया। पहली बार तब भारत ने 32,000 फीट की ऊंचाई पर वायु शक्ति का प्रयोग किया था। भारत और पाकिस्तान के बीच 60 दिनों तक युद्ध चला जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र को छुड़ा लिया और यथास्थिति फिर से स्थापित कर युद्ध जीत लिया। धोखे से करगिल में घुसपैठ कर पाक ने जो जख्म देने की कोशिश की थी, भारत ने उससे तो खुद को बचाया ही बल्कि पाक को भी ऐसी हार मिली कि वह उसे बरसों याद रखेगा। इस जंग में भारत के मुकाबले पाकिस्तान के 6 गुना सैनिक और मुजाहिदीन मारे गए थे।
2. ऑपरेशन कैक्टस
3 नवंबर 1988 में श्रीलंका के उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम मालदीव पहुंचे। यह उग्रवादी पर्यटकों के भेष में मालदीव पहुंचे थे। श्रीलंका में रहने वाले एक मालदीव नागरिक अब्दुल्ला लथुफी ने तख्ता पटल की प्लानिंग की थी मालदीव में दाखिल होते ही उग्रवादियों ने राजधानी माले की सरकारी भवनों,एयरपोर्ट, टेलीविजन केंद्र और बंदरगाह पर उग्रवादियों का कब्जा हो गया। उग्रवादियों की यह टुकड़ी तत्कालीन राष्ट्रपति मामून अब्दुल गय्यूम तक पहुंचना चाहते थे। गय्यूम को जैसे ही इस खतरे का आभास हुआ, उन्होंने कई देशों के शीर्षों को इमरजेंसी मैसेज भेजा। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जैसे ही संदेश मिला, वह एक्शन में आ गए। मालदीव की मदद करने वाले देशों में भारत पहला देश रहा। नौसेना का आईएनएस गोदावरी, वायुसेना का मिराज और थल सेना की टुकड़ियों की मदद से कुछ घंटों के भीतर ही उग्रवादियों को माले से खदेड़ दिया गया। आजादी के बाद विदेशी सरजमीं पर यह भारत का पहला सैन्य अभियान था जिसनें कामयाबी भी मिली। इसी ऑपरेशन को ऑपरेशन कैक्टस का नाम दिया गया था।ऑपरेशन कैक्टस का नाम आज भी दुनिया के सफल ऑपरेशन में गिना जाता है।
3. ऑपरेशन गंगा प्रहार
16 जून 2013 को उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर में भयंकर बाढ़ आई थी। इस प्राकृतिक आपदा में करीब छह हजार लोगों की जान चली गई थी, लाखों लोग बेघर हो गए और कई लोग अपनों से बिछड़ गए। सेना की सेंट्रल कमांड ने 19 जून को पहले ऑपरेशन ”गंगा प्रहार” लॉन्च किया। दो दिन बाद इसका नाम बदलकर ऑपरेशन ”सूर्य होप” कर दिया गया। इस ऑपरेशन में इंडियन नेवी भी शामिल थी।
4.ऑपरेशन मेघदूत
दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर अस्पष्ट सीमांकन के कारण विवाद का विषय था। सामरिक और भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण भारत और पाकिस्तान दोनों ही इसका नियंत्रण चाहते थे। ऑपरेशन मेघदूत सियाचिन पर कब्जा करने के लिए भारतीय सेना और वायु सेना द्वारा शुरू किए गए हमले को दिया गया कोड नाम था। IAF के II-76, An 12, और An 32 ने स्टोर और एयरड्रॉप की आपूर्ति को उच्चतम हवाई क्षेत्र में पहुँचाया। इसके अलावा, एमआई-17, एमआई-8, चेतक और चीता ने सैनिकों और सामग्रियों को बुलंदियों पर पहुंचाया। तब, भारतीयों ने सियाचिन की पूर्ण संप्रभुता प्राप्त की और अब हमारे वीर हमारी मातृभूमि के इस बर्फीले मैदान की रक्षा करते हैं।
5. ऑपरेशन बन्दर
IAF ने पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की हत्या का बदला लेने के लिए 26 फरवरी, 2019 को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर हवाई हमले किए। स्पाइस 2000 बमों और 4 सुखोई सुखोई एसयू-30 एमकेआई के साथ 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों का एक बेड़ा पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में घुस गया और बालाकोट क्षेत्र में आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया। पाकिस्तानी वायु सेना ने अपने F-16 लड़ाकू विमानों के साथ हाथापाई की, लेकिन भारतीय सेना के जवानों को हरा नहीं सका। बालाकोट हवाई हमला एक स्पष्ट संदेश था कि भारत किसी भी कीमत पर आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।