शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपना लिया। उन्हें गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सनातन धर्म में उन्हें शामिल करवाया। इस दाैरान अनुष्ठान भी किया गया। हिन्दू धर्म अपनाने के बाद रिजवी ने कहा कि उन्हें इस्लाम से बाहर कर दिया गया है और हर शुक्रवार को उनके सिर पर ईनाम रख दिया जाता है।
गौर हो कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे वसीम रिजवी खुद एक शिया मुस्लिम हैं। वसीम रिजवी 2000 में पुराने लखनऊ के कश्मीरी मोहल्ला वॉर्ड से समाजवादी पार्टी (सपा) के नगरसेवक चुने गए। 2008 में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य बने। 2012 में शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में हेरफेर के आरोप में घिरने के बाद सपा ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की और वहां से उन्हें राहत मिल गई।
हाल ही में वसीम रिजवी ने तब एक वीडियो जारी कर कहा था कि उनकी हत्या करने और गर्दन काटने की साजिश रची जा रही है। इस वीडियो संदेश में उन्होंने कहा था, ‘मेरा गुनाह सिर्फ इतना है कि मैंने कुरान की 26 आयतों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, मुसलमान मुझे मारना चाहते हैं और ऐलान किया है कि मुझे किसी कब्रिस्तान में जगह नहीं देंगे, इसलिए मरने के बार मेरा अंतिम संस्कार कर दिया जाए।’