भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से जारी तनाव के बीच रूस ने चीन को मुश्किल समय में बड़ा झटका दिया है। रूस ने फिलहाल चीन को एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलिवरी रोक दी है। रूस के इस कदम से बौखलाए चीन ने इसे दबाव में उठाया गया फैसला बताया है। हालांकि, चीन ने किसी देश का नाम नहीं लिया है। हालांकि, उसका इशारा भारत और अमेरिका की ओर है।
एस-400 दुनिया का सबसे अच्छा मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। अभी रूस के अलावा इसका इस्तेमाल सिर्फ चीन कर रहा है। चीन के पास इसकी कुछ यूनिट भी है। हालांकि, इसी साल भारत को भी इस सिस्टम की पहली खेप मिलने वाली है। रूस ने न सिर्फ एस-400 की डिलिवरी रोकी है, बल्कि चीन को यह नहीं बताया गया है कि उसे यह मिसाइल डिफेंस कब देगा।
इस बीच रूस ने चीन से कहा है कि वह एस 400 मिसाइल की डिलीवरी रोक रहा है। रूस ने न सिर्फ एस-400 की डिलिवरी रोकी है, बल्कि चीन को यह नहीं बताया है कि उसे यह मिसाइल डिफेंस कब देगा। चीन ने डिफेंस मिसाइल की ट्रेनिंग के लिए अपने सैनिकों को रूस भेजा था। जल्द ही रूस टेक्निकल एक्सपर्ट्स की टीम को चीन भेजने वाला था।
चीन की जिनपिंग सरकार के सूत्रों का कहना है कि रूस को लगता है कि है कि अगर वह इस समय डिलीवरी रोक देगा तो चीन की परेशानियां बढ़ेंगी। चीन का मानना है कि रूस ने यह फैसला दबाव में लिया है। चीन ने डिफेंस मिसाइल की ट्रेनिंग के लिए अपने सैनिकों को रूस भेजा था। जल्द ही रूस टेक्निकल एक्सपर्ट्स की टीम को चीन भेजने वाला था। वहीं, जिनपिंग सरकार के सूत्रों का कहना है कि रूस को लगता है कि है कि अगर वह इस समय डिलीवरी रोक देगा तो चीन की परेशानियां बढ़ेंगी।
भारत ने रूस से एस-400 सिस्टम खरीदने के लिए डील की है। इसके तहत भारत को यह सिस्टम इसी साल मिलना है। वहीं, चीन ने यह सिस्टम पहले ही खरीदने की डील की है। उसे 2018 में पहली खेप भी मिल चुकी है। लेकिन दोनों देशों के बीच विवाद के बीच रूस ने चीन की डिलीवरी रोक दी है, वहीं, भारत को वक्त पर मिसाइल देने का वादा किया है।
इससे पहले एस 400 डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल सिर्फ रूस और चीन कर रहा है। रूस इस सिस्टम का इस्तेमाल 2007 से कर रहा है। वहीं, चीन ने इसे 2014 में गवर्मेंट टू गवर्मेंट डील के तहत खरीदा था। इससे पहले एस 400 डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल सिर्फ रूस और चीन कर रहा है। रूस इस सिस्टम का इस्तेमाल 2007 से कर रहा है। वहीं, चीन ने इसे 2014 में गवर्मेंट टू गवर्मेंट डील के तहत खरीदा था।
वैसे रूस और चीन दोनों अच्छे दोस्त माने जाते हैं। लेकिन कोरोना काल के बाद से दोनों के रिश्तों में खटास आई है। दरअसल, रूस ने पिछले दिनों सेंट पीटर्सबर्ग आर्कटिक सोशल साइंस एकेडमी के प्रेसिडेंट वेलेरी मिटको को गिरफ्तार किया था। वेलरी पर आरोप है कि उसने चीन को रूस की सैन्य जानकारियां दीं और बदले में पैसे लिए। वेलरी के अलावा 2 चीनी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है।