भारत-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा पिथौरागढ़-लिपुलेख पर सड़क चौड़ीकरण का काम बीआरओ की देखरेख में चल रहा है। नेपाल ने अब एक माह पहले मालपा के निकट काली नदी में मलबा और पत्थर गिरने से काली नदी में झील बनने से खतरे की बात को हवा देना शुरू कर दी है। नेपाल ने भारत को इसकी सूचना तक नहीं दी है। इससे पहले नेपाल सीमा तक चौड़ी हो रही सड़क को लेकर आपत्ति जता चुका है। ताजा मामले में पिथौरागढ़ जिला प्रशासन निगाह रखे हुए है। साथ स्पष्ट किया कि काली नदी का प्रवाह थमा नहीं है और किसी तरह की खतरे की स्थिति भी नहीं है।
धारचूला के एसडीएम एके शुक्ला और भू विज्ञानी प्रदीप कुमार ने जनवरी में मालपा में सड़क चौड़ीकरण स्थल का निरीक्षण किया था। उन्होंने निरीक्षण के बाद बार्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) को नदी में गिरे बड़े पत्थरों को हटाने के आदेश दिए, ताकि पानी का प्रवाह न रुके। इसके बाद बीआरओ ने पत्थरों को हटाया भी। मगर तीन दिन पहले नेपाल प्रशासन ने इंटरनेट मीडिया एक अलर्ट जारी किया। इस आदेश में मालपा के पास झील बनने की बात कही गई है। साथ ही जमा पानी को खोलने पर दार्चुला से लेकर कंचनपुर तक लोगों को नदी किनारे जाने में सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है।