वाशिंगटन। अमेरिकी सरकार की एक योजना के बार में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इस खुलासे के बाद दुनिया में हलचल मच गई है। एक दस्तावेज में बताया गया है कि अमेरिका चंद्रमा पर परमाणु बम विस्फोट करने की योजना पर विचार कर रहा था। इसका मकसद चंद्रमा पर सुरंग बनाना था जिस पर रिसर्च करने के लिए अमेरिका की तरफ से काफी पैसा भी खर्च किया गया है। इन दस्तावेजों में 1,600 पेजों की रिपोर्ट, प्रस्ताव, कॉन्ट्रैक्ट और मीटिंग के नोट्स को शामिल किया है। इससे अमेरिका की सरकार के एडवांस एयरोस्पेस थ्रेट आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम के मकसद का पता चला है। हालांकि अमेरिकी सरकार ने इस प्रोग्राम को बंद कर दिया है। यह साल 2007 से साल 2012 तक सक्रिय भूमिका में था। जब इस प्रोग्राम के पूर्व निदेशक ने साल 2017 में पेंटागन से इस्तीफा दिया, तो लोगों को इसके बारे में पता चला। उस समय आईआईटीआईपी गुप्त यूएफओ कार्यक्रम के लिए जाना जाता था। पूर्व निदेशक लुइस एलिसोंडो ने इस्तीफा देने के बाद कई यूएफओ वीडियो लीक किए थे जिनकी उस दौर में खूब चर्चा हुई थी। अब इन दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि अमेरिकी सरकार यूएफओ के अलावा भी इस प्रोगाम के तहत कई योजनाओं पर काम कर रही थी। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना को कभी लागू नहीं किया गया। इस योजना के तहत थर्मोन्यूक्लियर उपकरणों के इस्तेमाल से चांद के क्रस्ट और मेंटल तक एक सुरंग बनाने का प्रस्ताव था। इन दस्तावेजों के मुताबिक, यह प्रस्तावित मिशन बेहद हल्के धातुओं की खोज के लिए था। अधिकारियों का कहना है कि चट्टानों को तोडऩे के लिए विस्फोट की जरूरत थी। रिपोर्टों में बताया गया है कि चंद्रमा में सुरंग के निर्माण से नकारात्मक द्रव्यमान का पता लगाने में मदद मिलेगी। अगर वहां पर निगेटिव मास मौजूद रहेगा, तो इंटरस्टेलर अंतरिक्ष उड़ान में बड़ा बदलाव आ सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रमा के केंद्र में जिन धातुओं की तलाश है वह स्टील से 100,000 गुना हल्की हो सकती हैं। इसके बावजूद भी वह स्टील जितनी ही मजबूत रहती हैं। इन धातुओं का इस्तेमाल अंतरिक्ष यान बनाने में हो सकता था। इससे अंतरिक्ष यान को बेहद कम ऊर्जा की जरूरत पड़ती। इससे पहेल भी अमेरिका ने चंद्रमा पर परमाणु हमला करने का विचार किया था। शीत युद्ध के समय अमेरिकी अधिकारियों ने ऐसी योजना पर चर्चा की थी। 1950 के दशक में इस योजना को तैयार किया गया था जिसका ए-119 प्रोगाम नाम था।