वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सत्ता संभालते ही तुर्की पर सख़्त होते नजऱ आ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के हित तेज़ी से अलग हो रहे हैं और ऐसे में उनकी आगे की राह मुश्किल हो सकती है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन दुनिया के उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्ते निभाए थे और अब सरकार बदलने के बाद उन्हें बाइडन की ओर से रूख़ा व्यवहार देखने को मिल रहा है।
वहीं, बाइडन ने राष्ट्रपति बनने से पहले अर्दोआन को ‘निरंकुश शासकÓ बताया था और तुर्की में विपक्ष को और मज़बूत करने का वादा किया था। बाइडन के प्रशासन ने शुरुआत में ही तुर्की के जाने-माने सिविल सोसायटी नेता ओस्मान कवाला की रिहाई की मांग की थी और छात्रों के प्रदर्शन के दमन के दौरान तुर्की सरकार के समलैंगिक विरोधी (होमोफ़ोबिक) रवैये की आलोचना की था। अपने बयानों में जो बाइडन ने लोकतंत्र को बढ़ावा देने की बात कही थी, लेकिन अमेरिका और तुर्की के बीच कई ऐसी वजहें हैं जो पारस्परिक तनाव को बढ़ा सकती हैं.
अर्दोआन ने उस चेतावनी को दरकिनार करते हुए रूस से उन्नत एस-400 मिसाइस सिस्टम खऱीदा था कि इससे नेटो में उसकी भूमिका प्रभावित होगी। इसकी वजह से ट्रंप प्रशासन ने तुर्की के रक्षा उद्योग पर कुछ हद तक पाबंदियां भी लगानी पड़ी थीं क्योंकि इसे लेकर अमेरिकी संसद में बहुत हंगामा हुआ था।
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